नई दिल्लीः भारत में अब पाम तेल का आयात तेजी से गति पकड़ता जा रहा है, जिससे घरेलू उत्पादकों की टेंशन बढ़ना तय माना जा रहा है। इतना ही खाद्य तेल के आयात में भी वृद्धि देखने को मिल रही है। देश के पाम तेल के आय की बात करें तो साल 2022-23 के पहले 11 महीने में 29.21 प्रतिशत बढ़कर 90.80 लाख टन तक पहुंच चुका है, जो किसी बड़ी वृद्धि के तौर पर देखा जा रहा है।
इस रिपोर्ट के बाद ही घरेलू रिफाइनरों की चिंता बढ़ सकती है। दरअसल, भारत वर्ल्ड में सबसे ज्यादा वनरस्पति तेल का आयातक है। वहीं, बीते सत्र की बात करें तो 70.28 लाख टन पाम तेल का आया किया गया था। इसके साथ ही देश का कुल वनस्पति तेल आयात नवंबर सितंबर के दौर 20 प्रतिशत से बढ़कर 156.73 लाख रहा। इससे पहले के सीजन की इस अवधि में 130.13 लाख टन रहा था। इस बीच एसईए ने बड़ी बात कही है, जिसे जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी है।
एसईए ने कही बड़ी बात
एक समाचर एजेंसी के मुताबिक, एसईए ने वनस्पति तेल आया पर चौंकाने वाली बात कही है, जो सबको हैरान करने वाली है। SEA के मुताबिक, सितंबर में देश के वनस्पति तेल आयात में 5 प्रति की कमी देखने को मिली है। वहीं, बीते साल की समान अवधि में 16.32 लाख टन से कम होकर 15.52 लाख टन पर सिमट गया था।
इसके साथ ही देश की आर्थिक राजधानी मुंबई स्थित सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबकि, पाम उत्पाद का आयात तेजी से बढ़ रहा है। पाम तेल की हिस्सेदारी बढ़कर 59 प्रति रह चुकी है। पाम के साथ सोयाबीन और दूसरे तेलों की अपेक्षा कच्चे पाम तेल के आयात को झटका जरूर लगा है। इसी सितंबर में कुल 7.05 लाख टन रहा, जो बीते महीने के 8.24 लाख टन से रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि पर्याप्त घरेलू जरूरतों के बाद खाद्य तेल के दाम में भारी गिरावट ने मांग को बढ़ाने का काम किया है। एसईए के मुताबिक, हाल के महीनों में घरेलू खाद्य तेल की कीमतों गिरावट के साथ प्रति व्यक्ति खपत में बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसके साथ ही पाम तेल के आयात ने घरेलू रिफाइनिंग इंडस्ट्री को गंभीर रूप से प्रभावित करने का काम किया है।