नई दिल्ली Income Tax Return: वर्तमान में टैक्स रिटर्न के प्रोसेस को शुरु किया जा चुका है। ये हर उस शख्स के लिए जरुरी हैं जिसकी इनकम टैक्स के अंतर्गत आती है। ऐसे में अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न पहली बार भरने के लिए जा रहे हैं तो कुछ खास बातें जिनको अपने जहन में उतार लेना चाहिए। ये वह खात बाते हैं जो कि सभी टैक्स भुगतानकर्ता के जरुरी होती हैं। ये वह महीने हैं जब सैलरीड कर्मचारियों को अपने नियोक्ता से फॉर्म 16 मिलता है। इसमें नियोक्ता के जरिए कर्मचारी की तरफ से TDS का ब्योरा मांगा जाता है। फॉर्म 16 में टीडीएस के अलावा इम्प्लॉयर के द्वारा पेमेंट किया गया वेतन की जानकारी भी होती है।
टैक्स रिजीम
बता दें नए टैक्स पेयर्स के लिए शायद ही ये सबसे जरुरी सवाल में से एक है कि वह टैक्स की प्रणाली का चुनाव करना चाहते हैं या पुरानी प्रणाली, इस समय में ITR नए टैक्स रिजीम और पुरानें टैक्स रिजीम के तहत दाखिल किया जाता है। वहीं नया टैक्स रिजीम डिफॉल्ट टैक्स रिजीम है। ऐसे में लोगों को इस बात की जानकारी जरुर रखनी होगी कि उनको नए टैक्स रिजीम के तहत टैक्स दाखिल करना है। या फिर पुरानें टैक्स रिजीम के तहत टैक्स दाखिल करना है।
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Income Tax Return
आपको बता दें नई कर व्यवस्था कम टैक्स दरों की पेशकश करती है। पुरानी प्रणाली में कुछ कटौती और टैक्स का लाभ है जो कि टैक्स को सेव करने की परमीशन देते हैं। एक ऑप्शन चुनना होगा और ऐसा करने का एक तरीका ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर में से एक ऑप्शन चुनना होता है जिससे कि ये मालूम किया जा सकें कि किस व्यवस्था में टैक्स पेयर्स का सामना करना पड़ेगा। सैलरीड कर दाता अपने टैक्स को फाइल करते समय अधिक लाभकरी टैक्स की व्यवस्था को चुन सकते हैं। इसके लिए उनक स्विच करने की परमीशन है।
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निवेश करने में क्या होता है?
बहराल ये उन लोगों के लिए संभव नहीें है जिनकी इनकम व्यवसाय से हैं गुप्ता ने कहा कि अगर टैक्सपेयर्स नई टैक्स प्रणाली को सूचित करने में असफल होते हैं तो डिफॉल्ट प्रणाली का चुनाव करते हैं। तो उनको अभी भी EPF, PPF और जीवन बीमा जैसे कुछ निवेशों पर निवेश करने के साधान के रूप में विचार विमर्श करना चाहिए। वहीं पुरानें टैक्स रिजीम से टैक्स दाखिल किया जाता है तो कई निवेशकों का लाभ 80C और दूसरी धारओं के तहत उठाया जा सकता है।