नई दिल्ली Old Pension Scheme: अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं तो ये खबर आपके लिए बड़ी खबर हो सकती है। बता दें सरकार के द्वारा सरकारी कर्मचाारियों के लिए काफी बड़ा ऐलान कर दिया गया है। दरअसल ये ऐलान उत्तराखंड सरकार के द्वारा किया गया है।
बता दें उत्तराखंड सरकार ने सरकारी शिक्षक कर्मचारियों को पूरानी पेंशन सिस्टम चुनने का ऑप्शन दे रही है। ये वह शिक्षक हैं जिनकी भर्ती 1 अक्टूबर 2005 से पहले जारी प्रेस रिलीज के आधार पर हुई थी, लेकिन इस तकनीकी कारणों से समय पर ज्वाइन नहीं कर पाए थे।
इससे सभी शिक्षक कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम के बजाय न्यू पेंशन सिस्टम के दायरे में आ गए हैं। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने इस सोमवार को बताया कि कैबिनेट ने इस श्रेणी के कर्मचारियों के लिए सेट्रल गवर्नमेंट वाला फॉर्मूला लागू करने को कहा है।
सेंट्रल गवर्नमेंट ने समय से पर ज्वाइन न कर पाए कर्मचारियों को पुरानी और न्यू पेंशन स्कीम में एक ऑप्शन चुनने का मौका दिया था। मालूम हो कि सेंट्रल गवर्नमेंट ने एक जनवरी 2004 को न्यू पेंशन स्कीम को लागू किया गया था। उत्तराखंड सरकार ने ये एक अक्टूबर 2005 से लागू किया है।
मुख्य सचिव ने ये बताया है कि राज्य के कर्मचारियों को भी ओल्ड और न्यू पेंशन स्कीम में ऑप्शन को चुनने का मौका दिया जाएगा। इसकी कटऑफ डेट एक अक्टूबर 2005 तय की गई है।
कैबिनेट में बैठक कर एक निर्णय लेकर जल्द ही एक जीओ जारी किया जाएगा। उसमें ऑप्शन का कार्यक्रम भी तय होगा। सूत्रों के मुताबिक इस कैटेगरी में सबसे ज्यादा प्रभावित शिक्षक है। इनकी संख्या 1500 से भी अधिक है। फाइनेंशियल डिपार्टमेंट के अनुसार, अब तक विभिन्न डिपार्टमेंट से 6219 कर्मचारियों का डेटा मिल चुका है। ये संख्या अभी और बढ़ सकती है।
सरकार का इतना बढ़ा खर्च
वहीं उत्तराखंड सरकार के द्वारा 66,557 कर्मचारी ओल्ड पेशन स्कीम के अधीन काम कर रहे हैं जबकि इस स्कीम के समय रिटायर हुए कर्मचारियों की संख्या 1 लाख 35 हजार 574 है। दूसरी तरफ पेंशन के दायरे में इस समय 90 हजार 247 कर्मचारी हैं। NPS वाले रिटायरमेंट कर्मचारियों की संख्या 4342 हो गई है।
फाइनेंशियल डिपार्मेंट के मुताबिक पेंशन के भुगतान पर राज्य को 6,000 करोड़ रुपये का सालाना खर्च करना होता है। जबकि सैलरी और भत्ते के भुगतान के रुप में हर साल 18,000 करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है। NPS वाले कर्मचारियों को दिए जाने वाले मंथली 14 फीसदी सरकारी शेयर के रूप में सरकार को सालाना 815 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाना होगा।