Ayushman Card: इसे सिस्टम की हेराफेरी कहें या स्वास्थ्य संस्थानों का नकारात्मक रवैया, आयुष्मान कार्ड के तहत आने वाली बीमारियों का इलाज जल्दी नहीं हो पा रहा है। सरकार की बहुप्रचारित योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है.
सबसे पहले तो इस योजना के तहत सभी प्रकार की बीमारियों का इलाज नहीं किया जा सकता है। इसमें शामिल बीमारियों में भी आयुष्मान कार्ड का नाम आते ही कुछ स्वास्थ्य संस्थाएं देरी या लंबी प्रक्रिया का डर दिखाकर मरीजों और उनके परिजनों को परेशान कर रही हैं।
इस योजना के तहत आयुष्मान कार्ड धारकों को एक साल में पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज मिलने की उम्मीदें टूटती जा रही हैं। अगर आप आंख का ऑपरेशन कराना चाहते हैं तो आपको आयुष्मान कार्ड के जरिए दोनों तरीकों यानी एसआईसीएस और फेको से सिर्फ पांच से सात हजार रुपये ही मिल सकते हैं।
अगर बवासीर का इलाज लैप्रोस्कोपी से करना हो तो एम्स में भी आयुष्मान कार्ड से नहीं हो सकता। आपको पारंपरिक ऑपरेशन से ही इलाज कराना होगा. आयुष्मान कार्ड के तहत लोग किस तरह की परेशानियों का सामना करने को मजबूर हैं, इसका अंदाजा केस हिस्ट्री से आसानी से लगाया जा सकता है।
इस संबंध में एक विभागीय अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर किसी आयुष्मान कार्ड धारक को कोई परेशानी आती है तो वह टोल फ्री नंबर 14555/104 पर शिकायत दर्ज करा सकता है.
केस स्टडी केस-1
बिहिया प्रखंड के कल्याणपुर गांव निवासी रंजीत उपाध्याय अपनी पत्नी ज्योति देवी की रीढ़ की हड्डी में सिस्ट का ऑपरेशन कराने के लिए दिल्ली के गंगा राम अस्पताल गये थे. स्थिति गंभीर थी, लेकिन जब आयुष्मान कार्ड दिखाया गया तो साढ़े तीन लाख जमा कर ऑपरेशन कराने को कहा गया. अगर आप आयुष्मान कार्ड से बनवाना चाहते हैं तो नंबर लेकर जाएं। नंबर कब आएगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. अब उन्हें नकद भुगतान कर ऑपरेशन कराना होगा।
केस-2
बिहिया के कौशल मिश्रा को पाइल्स के लिए लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन कराना पड़ा। जब पटना एम्स से संपर्क किया गया तो बताया गया कि नंबर आने पर आयुष्मान कार्ड से सिर्फ पारंपरिक ऑपरेशन ही किया जायेगा, लेप्रोस्कोपिक पद्धति से यह संभव नहीं है.
केस-3
बिहिया की फूल कुमारी देवी को आंखों में लेंस लगाना पड़ा. आयुष्मान कार्ड के बारे में बात करते हुए कहा गया कि कार्ड पर SICS पद्धति से केवल 5,000 रुपये और FECO पद्धति से 7,000 रुपये खर्च किए जा सकते हैं. बाकी खर्चा खुद ही उठाना होगा।
केस- 4
शाहपुर के मीडियाकर्मी दिलीप ओझा को श्वसन संक्रमण के कारण तत्काल आपातकालीन उपचार की आवश्यकता थी। जब गंभीर स्थिति में उनके रिश्तेदार इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड लेकर पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि उन्हें इस प्रक्रिया के लिए ओपीडी में आना होगा। अगर आप इसे इमरजेंसी में कराना चाहते हैं तो 25 हजार रुपये जमा करें. जान जोखिम में डालने वाली स्थिति में आयुष्मान कार्ड भूलने पर ऐसा करना पड़ा।
कुछ संस्थानों में आसानी से उपलब्ध सुविधाएं
आरा के डॉ. विकास कुमार द्वारा संचालित शांति मेमोरियल जैसे कुछ स्वास्थ्य संस्थान हैं, जहां मरीजों को धड़ल्ले से आयुष्मान कार्ड का लाभ मिल रहा है. लोगों को आयुष्मान कार्ड का अधिकतम लाभ दिलाने के लिए डॉ. विकास को सातवीं बार प्रधानमंत्री से प्रशस्ति पत्र मिला है।
वहीं, विश्वराज हॉस्पिटल, आरा के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. महावीर गुप्ता ने कहा कि इस प्रक्रिया से मरीजों के इलाज में देरी नहीं होती है और तुरंत इलाज शुरू हो जाता है.