Pitru Paksh 2023 : ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक शास्त्रों में पितृ पक्ष और श्राद्ध को महत्वपूर्ण माना जाता है, पितृ पक्ष का मुख्य उद्देश्य पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करना और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करना होता है। भारतीय संस्कृति में भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है क्योंकि इसके बाद आने वाले 16 दिनों में पितृ पूजा की प्रारंभ होती है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं और उनके लिए श्राद्ध का आयोजन करते हैं। श्राद्ध के दौरान पूजा-पाठ के साथ-साथ नियमित रूप से दीपक जलाने का भी मुख्य महत्व होता है, और वास्तु शास्त्र में ऐसे जगहों का जिक्र किया गया है जो पितरों के वास के रूप में माने जाते हैं। ऐसे में आइए जानते है इन 16 दिनों तक किस दिशा में दीप जलाये जाते है :
ईशान कोण में चलायें गाय के घी का दिया :
धार्मिक मान्यताओं के दौरान पितृपक्ष में घर के ईशान कोण की ओर गाय के घी का दिया जलाएं. यही नहीं इससे पितर भी काफी खुश होते हैं. यही नहीं वंशजों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है और साथ ही पूर्वजों की कृपा बरसती है.
पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं :
पीपल के पेड़ को हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और इसे वट वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। यह पेड़ हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और पितरों के आवास के रूप में भी माना जाता है।इसलिए पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलने की परम्परा है.
किचन में पानी की जगह पर दीपक जलाये :
धार्मिक और वास्तु शास्त्र के अनुसार विशेष रूप से पितृ पक्ष के दौरान दीपक जलाने का महत्व होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, शाम के समय किचन में पानी की जगह पर दीपक जलाने से आत्मा की शांति के साथ-साथ पितरों की कृपा और आशीर्वाद भी प्राप्त हो सकते हैं।
इसके माध्यम से पितरों की आत्मा को भी शांति प्राप्त होती है, जिससे वंशजों को आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, दीपक जलाने से मां लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख, समृद्धि, और धन की वृद्धि हो सकती है।
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