Khatu Shyam Sarkar: भारत को मंदिरों की भूमि कहा जाता है। यहां करोड़ों मंदिर हैं, जिनका विशेष महत्व है। इनमें से कई मंदिर बेहद चमत्कारी और रहस्यमयी हैं। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित है। हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह कलयुग के भगवान, हारे के सहारा बाबा खाटू श्याम का है। बाबा खाटू श्याम के मंदिर के बारे में कई रहस्यमयी बातें हैं जो आप शायद ही जानते हों। आइए जानते हैं बाबा खाटू श्याम के मंदिर से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातों के बारे में।
आज हम जिन्हें बाबा खाटू श्याम के नाम से पूजते हैं, असल में वे द्वापर काल या यूं कहें कि महाभारत काल में बर्बरीक के नाम से जाने जाते थे। वह तीन बाणधारी महावीर अत्यंत शक्तिशाली योद्धा थे। वह पांडव पुत्र भीम का पोता और घटोत्कच का पुत्र था।
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ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश दान में मांगा था और बर्बरीक ने बिना कुछ सोचे-समझे खुशी-खुशी अपना शीश उन्हें दान में दे दिया था. जिसके बाद श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए और बर्बरीक को वरदान दिया कि कलियुग में तुम्हारी मेरे नाम से पूजा होगी और जो भी भक्त हारेगा, तुम उसका सहारा बनोगे। इतना ही नहीं श्रीकृष्ण ने उन्हें यह भी वरदान दिया था कि यदि कोई भक्त मेरे दरबार से खाली हाथ लौटकर तुम्हारे दरबार में सिर झुकाने जाएगा तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
क्या आप जानते हैं सीकर के खाटू गांव में किस स्थान पर बर्बरीक का कटा हुआ सिर मिला था?
ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद श्री कृष्ण ने बर्बरीक का सिर रूपावती नदी में फेंक दिया था। जिसके बाद बर्बरीक के सिर को सीकर के खाटू गांव में जमीन के अंदर दफना दिया गया। तभी एक दिन एक गाय वहां से गुजरी और उसके थनों से अपने आप दूध निकलने लगा। यह देखकर लोग आश्चर्यचकित रह गए और यह खबर खाटू राजा को दी गई।
खाटू के राजा को एक सपना आया
जब खाटू राजा उस स्थान पर पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर उन्हें याद आया कि कुछ दिन पहले रात को सोते समय उन्होंने भी ऐसा ही सपना देखा था। स्वप्न में भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें आदेश दिया कि एक स्थान पर जमीन में गड़े सिर को निकालकर खाटू गांव में ही उस सिर को स्थापित कर एक मंदिर का निर्माण कराओ।
जिसके बाद खाटू राजा ने उस जगह को खोदने का आदेश दिया और वहां जमीन से एक सिर निकला। सिर को हटाने के बाद राजा ने उस सिर को पूरे विधि-विधान के साथ खाटू में एक स्थान पर स्थापित किया और एक मंदिर का निर्माण करवाया। आज हम उस मंदिर को बाबा खाटू श्याम के मंदिर के नाम से जानते हैं। वर्तमान में उस मंदिर में प्रतिदिन हजारों-लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं और बाबा उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।