सीता अष्टमी का करें व्रत, मिलेगी श्रीराम की भी कृपा, जानें सब कुछ

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Santy

सीता अष्टमी का व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है, कि इसी दिन माता सीता (Mata Sita) का जन्म हुआ था। राजा जनक की पुत्री होने के कारण माता सीता को जानकी भी कहा जाता है। कई श्रद्धालु इसे जानकी जयंती (Janki Jayanti) के रूप में भी मनाते हैं। मान्यता यह भी है कि सीता अष्टमी (Sita Ashtami) का व्रत रखने से भगवान श्रीराम का भी आशीर्वाद श्रद्धालुओं को मिलता है।

4 मार्च को सीता अष्टमी का शुभ मुहूर्त
जैसा कि आप जानते हैं, अभी फाल्गुन मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है। इस बार सीता अष्टमी का शुभ मुहूर्त 4 मार्च को पड़ रहा है। हालांकि अष्टमी तिथि 3 मार्च को सुबह 8:44 से प्रारंभ हो रही है, लेकिन उदया तिथि की वजह से यह व्रत 4 मार्च सोमवार को मनाया जाएगा। उस दिन सुबह 8:49 तक अष्टमी तिथि रहेगी।

ऐसे हुआ था माता सीता का जन्म
पौराणिक कथा के अनुसार माता सीता का जन्म पृथ्वी से हुआ था। बताया जाता है कि राजा जनक के राज में मिथिला में अकाल पड़ा था। ऐसे में राजा जनक के गुरु ऋषि अष्टावक्र ने उन्हें सलाह दी थी कि सोने का हल बनाकर खेत की जुताई करो तो अच्छी वर्षा होगी, और अच्छी फसल भी होगी। राजा जनक ने ऐसा ही किया। कहा जाता है कि जब वह सोने का हाल खेत में चला रहे थे, तो उन्हें मिट्टी के बर्तन में एक कन्या मिली, जिसे उन्होंने पुत्री बनाया। जनक की पुत्री के कारण उनका नाम जानकी रखा गया। चूंकि हल की नोक को सीत कहा जाता है, इसलिए उनका नाम सीता भी पड़ा।

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