नई दिल्ली: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन जो भी भक्त निर्जला व्रत रखकर सच्चे मन से शिव जी से कुछ भी मांगता है, उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है। द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना इस दिन बेहद ही शुभ होता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में 12 ज्योतिर्लिंग मौजूद है। लोगों का ऐसा मानना है कि इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही आपके जीवन का सब कष्ट खत्म हो जाता है और साथी सारे मनोकामनाएं भी पूरी होती है। आज इस लेख के जरिए हम बात करेंगे भगवान शिव के छठे ज्योतिर्लिंग भीम शंकर की।
जानें कब हुआ भीमा का जन्म
महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर से 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि पर्वत पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। एक पौराणिक कथा बताई गई इस ज्योतिर्लिंग के स्थापना की। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम ने रावण के अलावा उसके भाई कुंभकरण का भी वध किया था। कुंभकरण के वध के बाद उसके पुत्र भीमा का जन्म हुआ था।
किया कठोर तपस्या
ऐसा माना जाता है कि कुंभकरण की वध के बाद जब उसका पुत्र भीमा पैदा हुआ तो उसके बड़े होने के बाद उसे पता चला कि उसके पिता का वध भगवान श्री राम के द्वारा किया गया है। इस बात की जानकारी मिलते ही भीमा बेहद क्रोधित हो गया और उसने भगवान श्रीराम को मारने की प्रण ले ली। इस प्रण को पूरा करने के लिए भी भीमा ने कई वर्षों तक भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या की और उनसे वरदान में यह मांगा कि वह कभी भी पराजय ना हो सके।
युद्ध
ब्रह्मा जी से वरदान को पाने के बाद भीमा बिल्कुल पागल हो गया। उसने अपनी शक्तियों का गलत फायदा उठाते हुए मनुष्य समेत देवी देवताओं को भी हरकाने लगा। भीमा के इस हरकंप से सभी देवताओं परेशान होकर भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे मन्नते करने लगे कि भीमा के इस कहर से उनको भगवान शिव बचाएं। सभी देवताओं की बातों को सुनकर भगवान शिव ने भीमा से युद्ध करने का फैसला किया और उसे परास्त कर दिया। युद्ध की समाप्ति के बाद सारे देवी देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो जाए। उनकी प्रार्थना को सुनकर भोले बाबा वहीं पर स्थापित हो गए। यही वह जगह है जो कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से 1 ज्योतिर्लिंग के नाम से आगे चलकर मशहूर हुआ।