Tata: टाटा का नाम ही किसी चीज को भरोसेमंद और बड़ा बना देता है। यह वह कंपनी है जो स्टील, ऑटोमोबाइल, होटल से लेकर एयरलाइंस तक के बिजनेस में शामिल है। निजी कंपनी होने के बाद भी टाटा ने लोगों के बीच एक विश्वास जगाया है। उनकी प्रोडक्ट और सर्विसेज हमेशा ही टॉप लेवल की रही है।
टाटा के प्रोडक्ट क्वालिटी के लिए जाने जाते हैं। एक समय ऐसा भी था जब युद्ध के मैदान में टाटा में झंडे गाड़ दिए थे। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों के लिए टाटा ने कुछ ऐसा बनाया था जिससे देशों की ताकत दोगुनी हो गई थी। दूसरा विश्व युद्ध के दौरान टाटा ने ऐसा स्टील निर्माण किया था, जिसने मित्र देशों को जिताने में काफी बड़ा योगदान दिया था।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन अमेरिका और सोवियत रूस ने खुद को एकजुट कर एक एलाइड पावर का निर्माण किया था। भारत में ऐसे मित्र देशों का गुट कहा जाता है वही दूसरी तरफ एडोल्फ हिटलर की जर्मनी मुसोलिनी की इटली और जापान ने अपना एक गुट निर्माण किया था जिसे आज एक्सिस पावर कहा जाता है।
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दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ऐक्सिस ग्रुप में कारपेट बोम्बिंग की थी। इससे यूरोप के कई देशों को भारी नुकसान पहुंचा। इसी के साथ हथियारों की भी कमी होने लगी और स्टील की मांग काफी बढ़ गई। 1940 का यह दौर काफी भयानक था। भारत उस समय ब्रिटिश साम्राज्य का एक हिस्सा था और भारत में सबसे बड़ा स्टील प्लांट टाटा समूह के पास था।
तब टाटा स्टील ने 5 सालों के दौरान 110 तरह के स्टील का निर्माण किया। इस स्टील से 1000 टन आर्म प्लेट हर महीने तैयार किया गया। इस स्टील के प्रयोग से सैनिकों की जान बचाई गई थी। इसके साथ ही से कई तरह के हथियारों का भी निर्माण किया गया। 1942 में एक बेंजोल रिकवरी प्लांट लगाया गया। इसमें विस्फोटक तैयार करने वाले टोलूइन बनाए गए थे।
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यह विश्व युद्ध बेहद ही भयानक था। 1941 के दौरान मित्र देशों को गाड़ियों की कमी खलने लगी। इस समय बख्तरबंद गाड़ियों की जरूरत थी और मित्र देशों ने फिर से टाटा की ओर नजरें घुमाई। तब टाटा ने इंडियन रेलवे के साथ मिलकर एक बख्तरबंद गाड़ी तैयार की। इसमें फोर्ड का V8 इंजन लगाया गया था।
इस गाड़ी का आर्मर प्लेट एक्सेल और टायर को टाटा ने खुद बनाया था। इसे इंडियन पैटर्न कैरियर नाम दिया गया। लेकिन भारत में से टाटानगर नाम से जानी जाती है। यह गाड़ी युद्ध के दौरान छा गई। सैनिकों को उसका डिजाइन और पावर बेहद ही पसंद आया। इस पर एक मशीन गन को फिट किया गया था और यह एक समय में 4 से 5 सैनिकों को ले जाने में सक्षम थी।