नई दिल्ली। सफलता अपने साथ खुशियों के साथ साथ शत्रु भी लेकर आती है, क्योंकि सफल व्यक्ति के पीछे कोई न कोई शत्रु जरूर होता है। जो उसकी कामयाबी को नहीं देख सकता यह आपके जीवन के लक्ष्य में बाधा पहुंचाने की हर संभव कोशिश करते हैं। सफलता की रफ्तार को कम करने की कोशिश में आपके शत्रु हमेशा आपके पीछे रहेंगे। ऐसे में चाणक्य का कहना है कि जो व्यक्ति साहस और परिषद के साथ अपने लक्ष्य को पाने के लिए अधिक रहता है।
उनके ऊपर बड़े से बड़े शत्रु हावी नहीं होते हैं। चाणक्य में यह भी बताया है कि शत्रु जब बहुत शक्तिशाली हो तब मनुष्य को क्या करना चाहिए और उन्हें कब और कैसे हराया जाना चाहिए। इस लेख में चाणक्य शुरू से लड़ने की नीति के बारे में चाणक्य नीति के मुताबिक से ज्यादा ताकतवर हो तो बिना पूरी तैयारी के सामने सबसे बड़ी मूर्खता हो सकती है। अवस्था में कभी भी शुरू से नहीं लगना चाहिए। निश्चित रूप से आप कहां रहता है।
शत्रु शक्तिशाली हो तो शांत रहकर ही उसकी कमजोरी का पता लगाना चाहिए, सही समय पर इंतजार शत्रु अगर ज्यादा ताकतवर हो तो आपको धैर्य एवं विश्वास के साथ शत्रु का मुकाबला करना चाहिए। शत्रु के सामने अगर हार नजर आ रहे हो जो कभी भी उसे नहीं बताना चाहिए कि आप उसके सामने कमजोर पड़ रहे हैं।
शत्रु का आत्मविश्वास इससे और ज्यादा मजबूत हो जाता है चाणक्य का कहना है कि शत्रु हम से अधिक शक्तिशाली हो तो उसके हिसाब से ही चाणक्य का कहना है कि आपकी मुस्कान में इतनी बड़ी ताकत छुपी होती है कि वह बड़े से बड़े दुश्मन को मार दे सकती है।
चाणक्य के मुताबिक जब आपको कष्ट दे रहा हो या डराने की कोशिश कर रहा हूं तो आपको खुश रहने की पूरी कोशिश करनी चाहिए यह बहुत कठिन है लेकिन इससे आपका शत्रु कमजोर हो सकता है तकनीकों के बाद भी अगर आपके चेहरे पर वह मुझ शांति पर मुस्कान देखकर वह बौखला जाएगा और ऐसा जो करेगा जिसका आपको अपने जीत के लिए इस्तेमाल करना।