नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रा करने वाले चार अंतरिक्षयात्रियों के नामों का ऐलान हो चुका है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन नामों की घोषणा की है. उन्होंने इससे पहले गगनयान मिशन की प्रगति की समीक्षा की और नामित अंतरिक्षयात्रियों से मुलाकात कर शुभकामनाएं भी दीं.
चार जांबाज जिन्हें छूना है आकाश:
- प्रशांत बालकृष्णन नायर: केरल के पलक्कड़ जिले के नेनमारा के रहने वाले प्रशांत, भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के पद पर कार्यरत हैं।
- अंगद प्रताप: एक अनुभवी लड़ाकू विमान चालक हैं।
- अजित कृष्णन: अपने शानदार कौशल के लिए जाने जाते हैं।
- शुभांगशु शुक्ल: भारतीय वायुसेना के एक प्रतिभाशाली पायलट हैं।
कठिन प्रशिक्षण से हुए तैयार:
- ये चारों अंतरिक्षयात्री भारत के सभी प्रकार के लड़ाकू विमानों को उड़ा चुके हैं, इसलिए लड़ाकू विमानों की कमियों और खूबियों को अच्छी तरह से जानते हैं।
- इन सभी को रूस के गेओर्गी शहर में स्थित रूसी अंतरिक्ष प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षित किया गया है।
- वर्तमान में, वे सभी बेंगलुरु स्थित अंतरिक्षयात्री प्रशिक्षण सुविधा में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
कड़ी चुनौती पार कर बने अंतरिक्षयात्री:
- चयन प्रक्रिया बेहद कठिन थी। चयन संस्थान एयरोस्पेस मेडिसिन (आईएएम) द्वारा गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्षयात्रियों के चयन के लिए परीक्षण किए गए थे।
- देश भर के सैकड़ों पायलटों ने इसमें भाग लिया था, जिनमें से शीर्ष 12 का चयन किया गया था।
- कई चरणों के बाद, चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया और इस मिशन के लिए चार वायुसेना पायलटों को चुना गया।
रूस में हुआ गहन प्रशिक्षण:
- इसरो ने इन चारों पायलटों को आगे के प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा था।
- कोरोना के कारण प्रशिक्षण में देरी हुई, लेकिन 2021 में इसे पूरा कर लिया गया।
- रूस में इन पायलटों ने कई प्रकार के प्रशिक्षण लिए हैं।
- प्रशिक्षण के दौरान पायलट लगातार उड़ान भरते रहे और अपनी फिटनेस पर भी ध्यान देते रहे।
अंतिम चरण में होगा दो या तीन का चयन:
- खास बात यह है कि इन चारों को ही गगनयान मिशन पर नहीं भेजा जाएगा, बल्कि अंतिम उड़ान के लिए मिशन के लिए केवल 2 या 3 पायलटों का ही चयन किया जाएगा।
गगनयान मिशन 2025 में होगा लॉन्च:
- गगनयान को 2025 में लॉन्च किया जाना है. इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में इसरो ने श्रीहरिकोटा से गगनयान अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण किया था. यह परीक्षण यह जानने के लिए किया गया था कि क्या रॉकेट में खराबी होने पर अंतरिक्षयात्री सुरक्षित रूप से बच सकते हैं।