Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के 9 दिन इस वजह से नहीं खाते प्याज-लहसुन, दानव से जुड़ी है बड़ी वजह

Priyanka Singh

Chaitra Navratri 2023: हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दिनों देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 को शुरू हो रहा है। शास्त्रों के मुताबिक, इस साल मां अंबे नाव पर सवार होकर आ रही है। ऐसी मान्यता है कि जब पृथ्वी पर माता नाव की सवारी करके आती हैं, तो बहुत ही शुभ माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि भक्तों की सभी मनोकामना भी पूरी होती है।

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यदि आप 9 दिनों तक सच्चे दिल से प्राथना करते हैं, तो माता खुश होकर सभी मनोकामएं पूर्ण कर देती हैं। इस साल 22 मार्च से 31 मार्च 2023 तक चैत्र नवरात्रि चलेगा। नवरात्रि के दिनों में हमें कुछ बातों को ध्यान में रखने की जरुरत होती है। आपके मन में भी यह सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर प्याज और लहसुन का सेवन नौ दिनों तक क्यों नहीं किया जाता है। तो आईये आज हम आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं।

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नवरात्रि एक हिंदू त्योहार जो नौ दिनों तक चलता है। ऐसे में कुछ लोग प्याज और लहसुन का सेवन करने से बचते हैं। इस प्रथा के पीछे का कारण विभिन्न हिंदू समुदायों के बीच अलग-अलग है।

प्याज और लहसुन का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए?

  • एक कारण यह है कि प्याज और लहसुन को शरीर में राजसिक और तामसिक ऊर्जा बढ़ाने के लिए माना जाता है। हिंदू धर्म में, इन ऊर्जाओं को नकारात्मक माना जाता है और ये आध्यात्मिक विकास में बाधा बन सकती हैं। इसलिए, कुछ लोग सात्विक आहार बनाए रखने के लिए नवरात्रि के दौरान इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचते हैं, जो कि शुद्ध, हल्का और आध्यात्मिक साधना के लिए अनुकूल माना जाता है।

 

  • दूसरा कारण यह है कि प्याज और लहसुन को भारी और पचाने में मुश्किल माना जाता है। नवरात्रि के दौरान, लोग अक्सर अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए उपवास रखते हैं या हल्का भोजन करते हैं। इसलिए, इन खाद्य पदार्थों से परहेज करना पाचन और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।

 

  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नवरात्रि के दौरान प्याज और लहसुन से परहेज करने का अभ्यास हर किसी के लिए अनिवार्य नहीं है, और यह व्यक्तिगत मान्यताओं और रीति-रिवाजों के आधार पर भिन्न हो सकता है।

हिंदु पुराणों के मुताबिक, जब देवता और असुरों के बीच सागर मंथन हुआ था, उस वक्त 9 रत्न निकले थे और अंतिम में अमृत निकला था। जब भगवान विष्णु मोहिनी का रूप धारण करके देवताओं को अमृत पीला रहे थे, तभी दो दानव राहु-केतु ने अपना रूप बदलकर अमृत पी लिया था। जब भगवान विष्णु को इसकी खबर लगी तो उन्होंने गुस्से में आकर सुदर्शन चक्र से उन दो दानव का गला ही काट दिया था। ऐसी मान्तया है कि जब उनका सिर धड़ से अलग हुआ तो उनके खून की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गई थी और उससे ही लहसुन प्याज की उत्पत्ति हुई। यहीं कारण है कि प्याज और लहसुन को नहीं खाया जाता है।

 

 

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