नई दिल्लीः देश और दुनिया में जब प्रेम कहानियों का जिक्र होता है तो लोग बड़े ही शान के साथ शाहजहां और मुमताज का उदाहरण देते हैं। कहने को तो प्रेम बहुत हुए एक राधा और कृष्ण का भी अटूट प्रेमी रिश्ता था, जो किसी पत्थर की सिला से कम नहीं था। फिर एक कलयुग में मीरा का प्यार तो जिसने बचपन में ही कृष्ण को अपनी पति मान लिया, जिसके बाद पूरी जिंदगी ऐसे ही जीती रही। दूसरी ओर मुगल शासक शाहजहां का प्रेम भी किसी से छुपा नहीं है, जिसने अपनी प्रेमिका मुमताज के प्यार में एख ताजमहल तक बनवा डाला।
यही प्रेम देश और दुनिया के लिए सबसे बड़ी विरासत के तौर पर देखा जाता है। कहने को तो बादशाह शाहजहां का प्रेम कई स्त्रियों के साथ जोड़ा गया था, लेकिन मुमताज को वह दिल से बेइंतहा प्रेम करते थे। ऐसे में सबके मन में यह सवाल रहता है कि दोनों की प्रेम कहानी कहां से शुरू हुई थी। यह सब जानने के लिए आपको पूरा आर्टिकल पढ़ना होगा, जिसके बाद जानकारी विस्तार से मिल सकेगी। मुमताज और शाहजहां दोनों की प्रेम कहानी एक बाजार से जुड़ी हुई है, जहां दोनों ने एक दूसरे को देखा था। अपनी ही नजर में शाहजहां के दिल में मुमताज छा गईं थीं।
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- यहां हुई थी दोनों की पहली मुलाकात
मुगल शासक शाहजहां और मुमताज के प्यार की शुरुआत को हर कोई जानना चाहता है। यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि दोनों के प्यार की शुरुआत कहां से हुई थी। यह जानने के लिए आपको पूरा आर्टिकल ध्यान से पढना होगा। मीना बाजार को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था, क्योंकि यहां शाही परिवार के ही लोग खरीदारी करने आते थे।
बाजार में महिलाएं गहने, मसाले और कपड़े समेत कई चीजों की बिक्री कर रही थीं। यहां महिलाएं बिना नकाब के बाजार में मौजूद थीं। शाहजहां और मुमताज महल की पहली मुलाकात मीना बाजार में हुई थी। हालांकि उस वक्त उन्हें बादशाह शाहजहां की पदवी नहीं मिली थी।
इसलिए शहजादे खुर्रम के नाम से वे जाने और पहचाने जाते थे। खुर्रम मीना बाजार से गुजर रहे थे तभी उन्होंने एक लड़की को देखा। लड़की कीमती पत्थर और रेशम के कपड़े बेच रही थी। उसे पहली बार देखते ही दिल दे बैठे। लड़की की आवाज सुनने के लिए उन्होंने दुकान से एक कीमती पत्थर उठाया और कहा, यह कैसा है?
लड़की ने कहा, ये पत्थर नहीं, कीमती हीरा है। इसकी खूबसूरती और चमक से आपको अंदाजा नहीं लगा क्या? 20 हजार रुपये है इसकी कीमत. खुर्रम उसकी बात सुनकर कीमत देने को तैयार हो गए तो वो हैरान हो गई. खुर्रम ने कहा वो अगली मुलाकात तक इस पत्थर को सीने से लगाकर रखेंगे।
कई किताबों ने ताजमहल’ में शाहजहां और मुमताज महल की प्रेम कहानी का जिक्र विस्तार से किया है। वह लिखते हैं कि उस लड़की का नाम था अर्जुमंद बानाएं अर्जुमंद के दादा मिर्जा गयास बेग थे जो अकबर के शाही दरबार का हिस्सा थे।
- जानिए कैसे हुई थी मंगनी
अर्जुमंद बानो सिर्फ सुंदर ही नहीं, समझदारी और दूरदर्शी भी रही हैं। इनकी इसी खूबी को देखते हुए परिवारवालों ने बेहतर तालीम दी. यही वजह थी कि वो अरबी और फारसी में कविताएं लिखने के लिए जानी गईं। अर्जुमंद बानो की समझदारी और लेखन के चर्चे होते थे।
मंगनी के बाद दोनों को 5 साल लंबा इंतजार करना पड़ेगा। इसकी वजह थी कि दरबारी ज्योतिषियों ने दोनों की शुभ शादी की जो तारीख तय की थी वो 5 साल बीद तय की थी। यही वजह रही कि दोनों की मंगनी 1607 में हुई, लेकिन शादी 1612 में हुई।