नई दिल्ली: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार सुबह उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand assembly) में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश किया, जिसके बाद सदस्यों को विधेयक के प्रावधानों का अध्ययन करने के लिए सदन को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
उत्तराखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नागरिकों के अधिकारों को मजबूत करने के बिल पेश किया है। अब इसको लेकर विधानसभा में चर्चा होगा। 192 पन्नों का बिल चार भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें विवाह और तलाक से लेकर लिव-इन रिलेशनशिप शामिल किये गए हैं।
विवाह और उम्र का प्रावधान
विवाह के समय पुरुष की आयु 21 वर्ष पूरी होनी चाहिए, जबकि स्त्री की आयु 18 साल होनी चाहिए। विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा और ऐसा नहीं करने पर जुर्माना भी लगेगा।
तलाक के प्रक्रिया में सुधार
तलाक के लिए कोर्ट में जाने से पहले विवाह की अवधि का पालन करना होगा। जब तक आपकी शादी को एक साल नहीं हो जाता तब तक आप तलाक के लिए कोर्ट नहीं जा सकते हैं।
विवाह और तलाक में धार्मिक स्वतंत्रता
विवाह चाहे किसी भी धार्मिक प्रथा के जरिए किया जाए, लेकिन तलाक केवल न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही होगा।
कानून उल्लंघन और दंड
कानून के खिलाफ विवाह करने पर जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया है। यदि आप कानून के खिलाफ जाकर विवाह करते हैं, तो आपको छह महीने की जेल और 50 हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ेगा।
दूसरा विवाह और मौत का प्रावधान
दूसरा विवाह तभी संभव होगा जब दोनों पार्टनर में से कोई जीवित न हो।
शारीरिक संबंध और तलाक
शारीरिक संबंध बनाने के मामले में तलाक को आधार बनाया जा सकता है। यानी शादी में रहते हुए यदि पुरुष और महिला में से एक भी अन्य किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, तो इसको तलाक के लिए आधार बनाया जा सकता है।
नपुंसकता और धर्मपरिवर्तन
नपुंसकता या धर्मपरिवर्तन के मामले में भी तलाक के प्रावधान हैं।
दोषी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
रेप या गर्भवती होने पर तलाक के प्रावधान। अगर पुरुष ने किसी महिला का रेप किया हो या फिर शादी में रहते हुए को महिला किसी अन्य से गर्भवती हुई हो ऐसे में तलाक के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की जा सकती है।