नई दिल्ली– राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। यहां पर 25 नवंबर को मतदान होगा और तीन दिसंबर को चुनाव परिणाम आ जाएंगे। यानी की 3 दिसंबर को यह फाइनल हो जाएगा। कि राजस्थान का मुखिया कौन है। और कौन यहां का मुख्यमंत्री बनने वाला लेकिन उसके पहले राजस्थान के पांच ऐसे नेता है। जिनका सियासी भविष्य दांव पर लगा हुआ है। खबर भी नीचे हम इन पांच नेताओं का नाम आपको बताएंगे और आखिरकार इन के भविष्य की चर्चाएं तेज क्यों हो रही है इसके बारे में भी हम आपको विस्तार से बताते हैं।
जानकारी के अनुसार आपको बता दे की राजस्थान में एक अलग सी राजनीति हमेशा से चलती है। यह राजनीति है मानेसर की अब मन कर प्रकरण को लेकर सियासी तापमान बढ़ता जा रहा है। नेता अपने-अपने हिसाब से अलग-अलग मायने निकल रहे और अलग-अलग तरीके से इस पूरे क्षेत्र में खिचड़ी पकाने में जुटे हुए हैं। लेकिन इन सब के बीच कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से इस पूरे मामले में बहुत तेज कर दी गई यानी कि मानेसर की घटना बहस के केंद्र में बड़ी रहने वाली है।
एक मीडिया चैनल से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा था। कि 2020 में जब उनकी सरकार गिरने वाली थी तो भारतीय जनता पार्टी में एक बड़ी मीटिंग की गई थी। यही नहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इस पूरी साजिश को रचना के लिए गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गजेंद्र सिंह शेखावत सहित कई दिग्गज नेता मौजूद थे। लेकिन राजस्थान की जनता ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को गिरने नहीं दिया बचा लिया।
2023 के विधानसभा चुनाव में अब मानेसर प्रकरण को भी उछल जाएगा और इस पर पांच ऐसे नेताओं को भी शामिल किया गया है जिनके भविष्य दांव पर लगाते हुए नजर आ रहे हैं आखिरकार यह नेता कौन है और इस मामले को टोल क्यों दिया जा रहा है। क्यों इसके सियासी समीकरण होने वाले हैं यह हम आपको बता रहे हैं।
सबसे पहले दानिश बदल जो कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े करीबी बताए जाते हम आपको बता दें कि दानिश अबरार और मानेसर प्रकरण का ताप आपस में सुलगता रहता है इसमें सचिन पायलट के समर्थकों ने उनका विरोध भी अलग तरीके से किया थ। जिसकी चीज भी निकाल कर सामने आई थी।
दूसरे ऐसे नेता है जिनका नाम प्रताप सिंह खच्चरिया वास जो कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में मंत्री इनके बीच सियासी समीकरण सही नजर नहीं आ रहे है। तीसरी कैलाश मेघवाल जो कि भारतीय जनता पार्टी के गद्दार नेता माने जाते इनका भी मानेसर प्रकरण में बड़ा हाथ बताया जा रहा वहीं अगर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बात करें तो इनका भी एक अलग सी छवि देखने को मिल रही है। और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने मीडिया संवाददाताओं से बातचीत करते हुए वसुंधरा को साइट लाइन के पीछे 2020 की घटना को करार बताया है।
पांचवें सचिन पायलट जो कि कांग्रेस के पूर्व उपमुख्यमंत्री के पद पर भी रह चुके बताया जाता है कि कांग्रेस के बाकी विधायक सचिन पायलट के नेतृत्व में ही मानेसर गए थे। इसके बाद सरकार में कोई बड़ा पद पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को नहीं मिल पाया था।