नई दिल्लीः नई संसद में केंद्र की मोदी सरकार ने विपक्ष के भारी हंगामे के बीच महिला आरक्षण बिल पेश किया। केंद्र सरकार ने इस बिल को नारी शक्ति वंदन अधियनम बिल नाम दिया। इतना ही नहीं सरकार ने समय गंवाए बिन बिल पर चर्चा का दिन भी बुधवार तय कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर जानकारी दी। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण बिल पर सभी राजनीतिक पार्टियों के सदस्यों से सहयोग मांगा। बुधवार को चर्चा के बाद इस बिल को पारित किया जाएगा।
इससे पहले लोकसभा और राजसभा के सांसद पीएम मोदी के साथ नई संसद पहुंचे। पीएम मोदी के साथ नई संसद तक की पदयात्रा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहे।
पहले भी पेश हो चुका है महिला आरक्षण बिल
पहला मौका नहीं जब केंद्र सरकार महिलाओं को संसद में आरक्षण बिल के लेकर आई हो। 27 साल पहले भी यह मुद्दा कई बार उठा था, लेकिन दोनों सदनों में इसे पारित नहीं किया जा सका था। इसके बाद साल 2010 में भी महिला आरक्षण बिल ससंद में पेश किया गया थ, जिसे राज्यसभा से तो मंजूरी मिल गई, लेकिन लोकसभा में गिर गया था।
इस बार महिला आरक्षण बिल पास होने की संभावना है, क्योंकि एनडीए का बहुत दोनों सदनों में लगभग पूरा है। इतना ही नहीं कुछ और राजनीतिक दल भी महिला आरक्षण बिल पर समर्थन कर सकते हैं या फिर वोटिंग करने से बचने की उम्मीद है। मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महिलाओं की सहानुभूति के तौर पर यह कदम माना जा रहा है।
बिल पारित हुआ तो महिलाओं का सदन में होगा इतना योगदान
केंद्र सरकार ध्वनिमत से महिला आरक्षण बिल पारित करा लेती है तो फिर लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की सीटें बढ़ जाएंगी। इतना ही नहीं लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की 33 फीसदी सीटें आरक्षित हो जाएंगी। इससे महिलाओं की हिस्सेदारी राजनीति में काफी बढ़ जाएगी। 545 लोससभा सीटों में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी