नई दिल्लीः इजरायल और फिलिस्तीन के बीच भयानक युद्ध का कोई अंत होता नहीं दिख रहा है, जिसकी आग में अब तक दो बड़ी संख्या में लोग मौत के मुंह में समा गए हैं। हालात इतने बदतर हैं गाजा पट्टी के इलाकों में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की चीख पुकार अब सोचने के लिए मजबूर कर रही है।
अब दोनों ही देश की ओर से आम लोगों को निशाना बनाकर भी गोलीबारी और बमबारी की जा रही है। तमाम बिल्डिंग और चिकित्सय केंद्रों पर रॉकेट हमलों से सैकड़ों लोगों की जान चली गई है। इतना ही नहीं लोग बेघर होकर राहत शिविरों में अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं।
यहां पानी, रोटी और तमाम सुविधाओं के अभाव में लोग परेशान हैं। सबसे ज्यादा परेशानी ऐसी महिलाओं को है जो गर्भवती हैं। गर्भवती महिलाएं अपने पेट में पल रहे बच्चे को लेकर काफी चिंतित हैं, जिनकी जुबानी सुन आपकी आंखें भी भीग जाएंगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, 33 वर्षीय महिला निवेन अल-बारबरी गर्भ में पल रहे बच्चे को लेकर काफी दुखी है।
महिला ने बताई आपबीती
राहत शिविर में रहने को मजबूर निवेन अल-बारबरी गर्भ में पल रहे बच्चे को लेकर काफी चिंतित है। अल बारबरी ने बताया कि उसे गर्भकालीन मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी है। इसलिए वह इजरायली सेना के आक्रमण होने से पहले तक प्रतिदिन एक विशेषज्ञ के पास जाती थी।
आसमान से गिरते बम और विस्फोट ने उसे शिविर में रहने के लिए मजबूर कर दिया। महिला ने बताया कि अब उसका परिवार से भी संपर्क टूट गया है। पता नहीं कौन कहां है। वो आगे बताती है कि मुझे आश्चर्य होता है कि मैं अपने बच्चे को कैसे और कहां जन्म दे सकंगी।
आसामान से बम कभी भी और कहीं भी गिर रहे हैं। हम नहीं जानते कि कब किसके घर बम गिरेगा और जिंदगी उजड़ जाएगी। इसके आगे वो कहती हैं कि मैं बस यही आशा करती हूं कि मैं और मेरा बच्चा सुरक्षित जन्म ले, जिससे किसी तरह की दिक्कत नहीं हो। यह तकलीफ सिर्फ अल-बारबरी की ही नहीं है। वहीं, उसके जैसी हजारों महिलाओं की है जो गर्भवती हैं और गर्भावस्था के आखिरी महीने में हैं।
बच्चे खोने का डर भी बना टेंशन
कुछ महिलाएं शिविर में ऐसी भी हैं, जो लंबे समय बाद गर्भवती हुई। ऐसे में अब उन्हें गर्भपात का डर सता रहा है। इस बीच 30 साल की लैला बराका, दूसरे बच्चे के लिए वर्षों की कोशिश के बाद आईवीएफ के जरिये गर्भ धारण करने में सक्षम हुई।
अब वह तीन महिने का गर्भ धारण करे हुए है। महिला कहती है कि कहती हैं “पूरे दिन और रात मैं बम धमाकों की आवाज से भय लगता है। इसके साथ ही मैं अपने पांच साल के बेटे को गले लगाती हूं और अपने डर को निगलने की पूरी कोशिश करती हूं।
महिला आगे कहती है कि हम जो आसमान से गिरती मिसाइलों की आवाज सुनते हैं वो इंसान ही नहीं पत्थरों को भी भयभीत कर सकती है।