क्या शरद पवार की जमीन खिसक गई, या फिर कर रहे हैं दो नावों की सवारी? देखिए…

Avatar photo

By

Timesbull

नई दिल्ली- महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से उलटफेर देखने को मिल रहा है इस बार NCP में बगावत हुई है। और आरोप लग रहा है कि अजीत पवार ने शरद पवार को धोखा दिया। लेकिन हां जी इस तरह के आरोपों को खारिज करके वही आप सबकी नजर शरद पवार पर टिकी हुई कि आखिरकार अब अगला कदम क्या होने वाला है।

ऐसा नहीं है कि परिवार के सदस्यों और सगे संबंधियों ने ही अतीत में राजाओं के साथ दगाबाजी की और तख्तापलट की किया बल्कि संसदीय लोकतंत्र में भी इस तरह की घटनाएं होती रहती और काफी बात हुई भी है। महाराष्ट्र में रविवार को जो हुआ वह सियासी घटनाक्रम का यह ताजा उदाहरण है। शरद पवार भी अब उस सूची में शामिल हो गए जिससे अभी तक ठाकरे अब्दुल्ला,मुलायम सिंह यादव,बादल और नंदा मुरी तारक,रामराव और एनटीआर का नाम शामिल था। इनमें से अधिकांश ने अपनी मेहनत के दम पर वापस की है। इनमें से अधिकांश ने अपनी मेहनत के दम पर वापसी की। अब देखने वाली बात यह है कि पवार अपने कैरियर की सबसे कठिन और अपमानजनक चुनौती को कैसे स्वीकार करते हैं। और कैसे इससे निपटने के लिए कदम आगे उठाते हैं।

पवार ने दो 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया था। और अपने दम पर पार्टी को आगे बढ़ाया अब उनके सामने बगावत से निपटने की चुनौती है। पवार के लिए इससे भी अधिक शर्मनाक बात यह रही की यहां अपने विधायकों ने ही उनका साथ छोड़ दिया और दूसरी तरफ कई बयानबाजी यों के बावजूद भी कांग्रेस में महाराष्ट्र में एकजुट है। पवार अक्सर अपनी पूर्व पार्टी पर कटाक्ष करते रहते हैं उन्होंने यहां तक कह दिया था। कि कांग्रेस में शामिल लोगों को यह स्वीकार करना चाहिए। कि सबसे पुरानी पार्टी का प्रभाव अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैसा नहीं है। जैसे पहले हुआ करता था। और लोग इस बात को समझने के लिए तैयार नहीं थे। इस तरीके के कटाक्ष को सुनकर नेताओं में अलग अलग तरीके की बातें निकल कर भी सामने आई थी।

पवार को यूपी के उम्मीदवारों के बारे में बारे में एक किस्सा सुनना भी पसंद आया था। जिन्होंने अपनी अधिकांश जमीन को दी थी। और अपनी हवेली को मेंटेन करके उनके असमर्थ रहे है। यूपी के जिम्मेदारों से कांग्रेस की तुलना करते हुए एक समय उन्होंने कहा था। कि मैंने उत्तर प्रदेश के जमीदारों के बारे में एक कहानी बताई थी। जिसके पास बड़ी हवेलियां हुआ करती थी। भूमि हदबंदी कानून के कारण उनकी जमीनें कम हो गई हवेलियां बची रही लेकिन उनकी देखभाल और मरम्मत करने की उनकी कैपेसिटी नहीं रही जब जमीदार सुबह उठता है। तो वह आस-पास हरा भरा खेत देखता है और कहता है। कि यह सारी जमीन उसकी यह कभी उसका था। लेकिन अब कि नहीं रही शायद पवार भी या नहीं जानते होंगे कि वह खुद जल्द ही उसी तरह के जमीदार बन जाएंगे।

Timesbull के बारे में
Avatar photo
Timesbull As a contributing author for TimesBull, I bring a wealth of expertise and passion to every piece I write. With a background in journalism and a keen interest in a diverse array of subjects, I strive to deliver insightful and engaging content that resonates with readers. Whether I'm delving into the intricacies of technology, exploring the latest developments in science, or analyzing current events shaping our world, my goal is to provide readers with thought-provoking perspectives and valuable information. With a commitment to accuracy and clarity, I endeavor to make complex topics accessible to a broad audience, fostering understanding and sparking meaningful conversations. My writing is characterized by meticulous research, balanced analysis, and a dedication to journalistic integrity. I take pride in crafting articles that inform, educate, and inspire readers to delve deeper into the subjects that matter most. Through my work with TimesBull, I aim to contribute to a platform that values quality journalism and fosters a community of curious minds. I am honored to be a part of this esteemed publication and look forward to continuing to share stories that inform, entertain, and enrich the lives of our readers. Read More
For Feedback - timesbull@gmail.com
Share.
Open App