नई दिल्लीः अहिंसा के पुजारी और भारत की आजादी के सबसे बड़े नायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज जयंती मनाई जा रही है। हर कोई अपने क्रांतिकारी नायक को अपने हिसाब से याद कर श्रद्धांजलि दे रहा है। कोई महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर रहा है तो कोई सोशल मीडिया के माध्यम से बापू जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी आजादी के लिए महात्मा गांधी के योगदान को याद कर श्रद्धांजलि दी।
बापू जी ने दुनिया को दिखाया कि हक लड़ाई से नहीं शांति से लिया जाता है, जिसके लिए उन्हें आज अंहिसा का पुजारी भी कहा जाता है। आज भी देश-विदेशों से कूटनीतिक और राजनीतिक रिश्तों के लिए बापू जी के विचारों को आगे रखा जाता है। इतना ही नहीं उनके सिद्धांत शांति का मार्ग दिखाते हैं।
इसे भी पढ़ेंः WEATHER UPDATE: बादलों की गड़गड़ाहट से भर जाएंगे कान, इन राज्यों में आफत बनेगी तेज बारिश
अमेरिकी राष्ट्रपति को याद आए थे महात्मा गांधी
महात्मा गांधी विचारों और बताए रास्ते पर चलने का संकल्प दुनियाभर में लिया जाता है। बापू ने साझा विचारों के लिए दुनियाभर में अपना रस छोड़ा, जिसका असर आज भी देखने को मिलता है। इसका एक वाकया उस समय नजर आया, जब भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा था। दुनिया में सुपर पावर के नाम से मशहूर अमेरिका के राष्ट्रपित जो बाइडेन खुद बापू की समाधि स्थल पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। जो बाइडेन ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी महात्मा गांधी के संरक्षक के सिद्धांत में निहित है। इस दौरान जो बाइडेन ने राजघाट ले जाने लिए पीएम मोदी का शुक्रिया किया है।
इसे भी पढ़ेंः धमाकेदार डील! 108MP कैमरे वाला 5G स्मार्टफोन स्मार्टफोन सिर्फ 17999 में, जबरदस्त फीचर्स से लैस है यह फोन
अस्तित्व के करीब छह दशक बाद सयुंक्त राष्ट्र महासभा को लगा की महात्मा गांधी के नाम से अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाना चाहिए और इसे बाबत 15 जून 2007 को एक प्रस्ताव पारित कर इसे सच्चाई में बदल दिया।
जानिए गांधी को महात्मा और राष्ट्रपिता की उपाधि किसने दी
एक सवाल ज्यादातर लोगों के मन छलांग लगाता है कि गांधी जी को राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि किसने दी थी, जिसे जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी है। जानकारी के लिए बता दें कि 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने उन्हें महात्मा कहकर संबोधित किया था। दूसरी ओर एक एक मत है कि स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 में ही उन्हें महात्मा की उपाधि प्रदान की थी।
एक और मत है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने बापू को सबसे पहले महात्मा कहकर संबोधित किया था। साथ ही सवतंत्रता सेनानी और साबरमती आश्रम में उनके शिष्य रहे सुभाष चंद्र बोस ने बापू को सबसे पहले राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।