नई दिल्ली- G-20 समिट को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। बता दें कि इस पूरे कार्यक्रम में कई बड़े नेता राष्ट्रपति प्रधानमंत्री भारत पहुंच चुके हैं। लेकिन कुछ ऐसी आशंकाओं ने सवाल पूछना शुरू कर चुके हैं। आइए हम बताते हैं कि आखिरकार कौन सी ऐसी चीजे हैं जो भारत के लिए बाधा बन रही है?
जानकारी के अनुसार g20 महासम्मेलन में आम सहमति के बाद काम किया जा रहा है। हर एक सिद्धांत पर पहले ही बातचीत करने के बाद ही इसे आगे बढ़ाया जाता है। लेकिन ऐसी आशंका रही है की आमराय की कमी की वजह से शिखर सम्मेलन में कोई संयुक्त बयान जारी न किया जाए। चीन यहां मतभेदों को पटाने में मुख्य बाधा बनकर उभरता हुआ नजर आ रहा है।
पहले ही हम आपको बता दें कि जी-20 शिखर सम्मेलन के एक दिन पहले तक बिल्कुल साफ नहीं हो पाया हैकि नेताओं ने घोषणा पत्र में यूक्रेन संकट का जिक्र होगा या नहीं। लेकिन चीन इस मुद्दे के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन समेत कुछ बड़े प्रस्तावों पर आम सहमति तक पहुंचने पर बाधा बनकर उभरता हुआ नजर आ रहा है।
सूत्रों की माने तो कई बड़े मुद्दे पर अभी तक कोई रजामंदी नहीं बन पाई है। और जी-20 शेरपा इसका समाधान खोजने के लिए गंभीरता से बातचीत कर रहा है। आगे सूत्रों का कहना है कि सभी मुद्दों पर बातचीत जारी है। और पॉजिटिव नतीजे आने की पूरी उम्मीद दो सूत्रों ने अलग-अलग तरीके से बताया कि G7 देश यूक्रेन युद्ध के बारे में बिना किसी नेता की घोषणा से सहमत नहीं उन्होंने आगे कहा अन्य पेचीदा मुद्दे भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
जानकारी के अनुसार जी-20 की आम सहमति के सिद्धांत के बाद ही यह काम करता है। और ऐसी आशंका जताई जा रही की बातचीत के अभाव में शिखर सम्मेलन संयुक्त नेताओं की घोषणा के बिना ही समाप्त हो सकता है। रूस और चीन दोनों पिछले साल वाली घोषणा में यूक्रेन संघर्ष पर दो पैराग्राफ जारी करने के बाद सहमत हुए थे। लेकिन इस बार वे इससे पीछे हट गए है। जिससे भारत के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती है।