नई दिल्ली: 2024 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election) से पहले मोदी सरकार (Pm Modi) ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) (Citizenship Amendment Act) के नियमों को अधिसूचित कर दिया है। इसका मतलब है कि अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के अल्पसंख्यक भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकेंगे।
नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद विपक्षी दलों ने बीजेपी पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। CAA अधिसूचना जारी करने के बाद, विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले सरकार ने इसकी अधिसूचना जानबूझकर की है।
विपक्ष ने लगाए ये बड़े आरोप:
विपक्षी दलों ने इस घोषणा को मोदी सरकार की चुनावी रणनीति बताया है। उनका कहना है कि सरकार ने जानबूझकर चुनाव से पहले सीएए लागू किया है। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है।” कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए।”
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए पीएम मोदी सरकार पर निशाना करते हुए लिखा – दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए।
प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है। घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है।
दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 11, 2024
वहीं अखिलेश यादव ने लिखा – जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हो गए हैं, तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा? जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है। भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये।
जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा?
जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है। भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये।
चाहे कुछ हो…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 11, 2024
सरकार का पक्ष:
सरकार का कहना है कि सीएए का उद्देश्य सताए गए लोगों को शरण देना है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “सीएए किसी भी धर्म के लोगों के खिलाफ नहीं है।”
जानिए क्या है सीएए?
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 12 दिसंबर 2019 को पारित हुआ था। यह कानून भारत की नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। सीएए के तहत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के अल्पसंख्यक भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।
सीएए के नियमों को लागू करने की प्रक्रिया:
पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। आवेदन जमा करने के बाद, सरकार द्वारा इसकी जांच की जाएगी। यदि आवेदन स्वीकृत हो जाता है, तो आवेदक को नागरिकता का प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
सीएए के प्रभाव:
सीएए के लागू होने से लाखों लोगों को भारत की नागरिकता प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। यह कानून भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को मजबूत करेगा।
सीएए के बारे में बहस:
सीएए के लागू होने के बाद से ही इस कानून को लेकर बहस जारी है। कुछ लोगों का कहना है कि यह कानून विभाजनकारी है और धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यह कानून सताए गए लोगों को शरण देने के लिए आवश्यक है।