(Atom Bomb) पाकिस्तान की ग़रीबी, भुखमरी और बेकारी सब ख़त्म हो चुकी है। पाकिस्तानी अवाम दो जून की रोटी नहीं बल्कि जान बख्शने की गुज़ारिश कर रही है! या पाकिस्तानी मीडिया, सियासी जमात और ह्युमन राइट एक्टिविस्ट्स की आँखों के आंसू सूख चुके हैं। चंद रसूखदारों ने 25 करोड़ पाकिस्तानियों को जीतेजी मौत के घाट पर खड़ा कर दिया है। अमेरिका, इंग्लैण्ड जैसे देशों की ओर से बयान आए कि पाकिस्तान के हालात पर नज़र बनाए रखने के बयान जारी कर रहे थे। शायद उन्हें पाकिस्तान के पाव-पाव भर के एटम बमों की चिंता थी। कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, पेशावर, फैसलाबाद, बहावलपुर जैसे शहरों में आगज़नी और पुलिस-सुरक्षाबलों पर हमले हो रहे थे, बल्कि कोर कमाण्डर हाउस को आग लगा दी गई। इसे जिन्ना हाउस के नाम से भी जानते हैं।
पिण्डी में सेना के हेड क्वार्टर पर हमले क्यों
पिण्डी में भी सेना के हेड क्वार्टर पर हमले हो रहे थे। ऐसे हालातों में पाकिस्तानी फ़ौज और इमरान खान और सरकार को परवाह हो या न हो लेकिन अमेरिका, इंग्लैण्ड, रूस और फ़्रांस को पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों और परमाणु बमों (Atom Bomb) की सुरक्षा की चिंता थी। अमेरिकी सीआईए के एजेंट और एमआई-5 की कोबरा यूनिट जान जोखिम में डालकर पाकिस्तानी परमाणु बमों (Atom Bomb) को आतंकियों की गिरफ़्त से बचाने की जुगत में लगे थे।
चीनी जासूसों की मंशा क्या थी और क्या है
इसमें भारत का रिस्क और रोल क्या है इसका ज़िक्र करने की ज़रूरत नहीं। लेकिन इस पूरे काण्ड में चीन की क्या चाल है इसकी चर्चा आख़िर में करेंगे पहले यह जानना ज़रूरी है कि पाकिस्तान का आयरन फ़्रेंड चीन क्यों चुप बैठा रहा और अभी तक चुप बैठा हुआ है। पाकिस्तान में इमरान खान की प्राइवेट फ़ौज सरकारी फ़ौजी मुख्यालयों और हवाई अड्डों पर हमले करती रही लेकिन चीन ने चूँ तक नहीं की। चीन के जासूस जो सियासतदानों और फ़ौजी हुक्कामों के बेड़रूम तक में घुसे रहते हैं उन्हें इस बग़ावत की बू कैसे नहीं मिली? क्या पाकिस्तान में हुई इस खूनी बग़ावत के पीछे आयरन हैण्ड ही तो नहीं था।क्या चीनी सरकार और जासूस नहीं जानते हैं कि पाकिस्तान के परमाणु बम (Atom Bomb) खतरे में हैं। यह खतरा और बढ़ सकता है।
15 दिन पहले पाक आर्मी चीफ चीन में, 4 दिन पहले चीनी विदेश मंत्री इस्लामाबाद में
यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्तानी आर्मी चीफ़ असीम मुनीर महज़ दो हफ़्ते पहले बीजिंग में थे। इस दौरान उन्होंने चीन के तमाम डिप्लोमेट्स से मुलाक़ातें की थीं। जनरल मुनीर चीन के विदेश मंत्री क्विक गैंग से भी मिले थे। पाकिस्तानी विदेश मंत्री विलावल भुट्टो ज़रदारी और चीनी विदेश मंत्रियों की गोवा एससीओ समिट में भी मुलाक़ात हुई थी। यह मुलाक़ात 4-5 मई को हुई थी। गोवा के बाद क्विक गैंग सीधे पाकिस्तान गए थे। वहाँ एक बार फिर विलावल समेत तमाम सियासी हुक्मरानों से क्विक गैंग मिले थे। कहना ग़लत न होगा इनमें पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ और उनकी कैबिनेट के सभी मेंबर शामिल रहे।
क्या ईरान पहुंच गया पाव भर का पाकिस्तानी Atom Bomb
एक बार को ऐसा माना जा सकता है की पाकिस्तान की आईएसआई के जासूसों ने चंद दिनों बाद होने वाली बग़ावत की आशंका को हल्के में लिया हो या अपने आयरन ब्रदर से छिपाने की कोशिश की हो, लेकिन आयरन ब्रदर के जासूसों को क्या हो गया था? क्या वो सब कुछ जानकर अंजान थे। क्या आयरन ब्रदर यह चाहता था बग़ावत और फैले और मदद के नाम पर पाकिस्तानी एटम बमों (Atom Bomb) को ईरान-तूरान पहुंचा दिया जाए!
एक बात और ख़ास बात यह कि पाकिस्तान में स्थिरता और विकास से चीन का कोई लेना देना नहीं है। चीन को अपना अरबों-खरबों रुपया वसूल करना है। वो पाकिस्तान को गुलाम बनाकर ही हो सकता है। इसका एक कारण यह भी है कि भारत की स्थिरता और विकास चीन की सबसे बड़ी चिंता है इसलिए वो पाकिस्तान का वजूद तो बचाकर रखना चाहता है साथ ही वो पाकिस्तान को न छोड़ना चाहता है और न छोड़ेगा बल्कि अपने आगे हाथ फैलाए घुटनों पर बैठाए रखना चाहता है।
भारत है तो चीन-पाक की दोस्ती है
चीन के थिंक टैंक और शंघाई के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एंड सेंट्रल एशिया स्टडीज़ के डायरेक्टर प्रोफ़ेसर का भी मानना है कि भारत का अस्तित्व ही चीन और पाकिस्तान की दोस्ती की आधारशिला है। इसके अलावा चीन और पाकिस्तान के बीच दोस्ती का दूसरा कोई कारण नहीं है। यही वजह है कि 9 मई को शुरु हुई बग़ावत के बाद से अभी तक चीन ने इमरान खान, पाक आर्मीचीफ असीम मुनीर या शहबाज़ सरकार के बारे में एक लफ़्ज़ नहीं निकाला है।
आयरन क्लाउड दोस्ती कहां गई
27 अप्रैल की बात है जब पाक आर्मी चीफ़ असीम मुनीर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के फॉरेन अफ़ेयर्स कमीशन के डायरेक्टर वांग ई से मिले थे। उस वक़्त वांग ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी सेना को “पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता का कट्टर रक्षक, और चीन-पाकिस्तान ‘आयरनक्लाउड’ दोस्ती का कट्टर रक्षक बताया था। मतलब यह कि चीन ने शहबाज़ और इमरान से ज़्यादा महत्ता पाकिस्तानी फ़ौज और जनरल असीम मुनीर को दी, लेकिन दो हफ़्ते बाद ही उसने मुँह फेर लिया।
इमरान खान और पाक आर्मी दोनों को शह दे रहा है चीन
कुछ लोगों का मानना है कि चीन ने सामने से पाक आर्मी चीफ़ असीम मुनीर को हवा भरी और पीछे से इमरान खान की पुश्त पर भी हाथ रख दिया और 9 मई वाला काण्ड हो गया।
अमेरिका और ब्रिटेन की चिंता बढ़ी, चीन ने कर दिया खेल!
पाकिस्तान से भुखमरी और आर्थिक तंगी का मुद्दा ग़ायब हो चुका है। जो अवाम पहले सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार थी वो अब सेना के ख़िलाफ़ हो गई। अमेरिका-इंग्लैण्ड ही भारत भी इस बात से चिंतित था कि पाकिस्तान के परमाणु आतंकी गुटों के हाथों में न पड़ जाएँ। अमेरिका इस बात से चिंतित है कि ईरान अपनी जासूसों को पाकिस्तान में सक्रिय कर सकता है। चीन इस तरह पीछे दरवाज़े से ईरान को एटम बम (Atom Bomb) हासिल करने में मदद कर सकता है…।
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