नई दिल्लीः मुगल काल के शासकों का जब जिक्र होता है तो भला हम शाहजहां का नाम कैसे भूल सकते हैं। शाहजहां एक ऐसा बादशाह जिसने ना सिर्फ युद्ध क्षेत्र में नाम कमाया बल्कि अय्याशी भरी जिंदगी के लिए अपनी मर्यादा का चोला उतारकर फेंक दिया। मुगल बादशाह शंशाह की तरह जिंदगी तो जीते थे, लेकिन बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि अपनी हवस बनाने के लिए इन्होंने अपनी सगी बहनों, बेटी और मां क को भी नहीं छोड़ा। ऐसे तमाम उदाहरण कहीं ना कहीं किसी भी पुस्तक में मिल जाएंगे।
इसलिए अय्याशी के लिए मुगल काल खूब बदनाम है। आज हम बत करने जा रहे हैं, जहांगीर के बेटे शाहजहां की जिसने अपनी संभोग की भूख मिटने के लिए हरम में महिलाओं की संख्या को बढ़ाया, बल्कि हद तो जब हो गई तब उसने अपनी सगी बेटी को भी नहीं छोड़ा। दावा तो यहां तक भी किया जाता है कि शाहजहां केवल दिखावे के लिए मुमताज से प्यार करता था। इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि बादशाह के 7 बीवियां थीं। मुमताज से शादी करने के बाद भी शाहजहां ने निकाह किया था। कुछ लेखकों के मुताबिक मुमताज उसकी चौथे नंबर की पत्नी थी, जिसके बाद तीन और शादियां की थीं। अगर वह सच में मुमताज से इतना प्यार करता था तो फिर तीन शादियां और करने की जरूरत किया था।
इसे भी पढ़ेंः मुगल बादशाह 13 पत्नी और 800 औरतों के साथ गुजारता था रात, बेटी से भी मिटाई हवस, सच्चाई उड़ा देगी होश
- शाहजहां ने इसलिए बनाया था बेटी को अपनी रखैल
मुगल वंश के बादशाह शाहजहां की प्रेम कहानी के बड़े-बड़े उदाहरण पेश किये जाते हैं, लेकिन हरम और सगे संबंधियों का जब जिक्र होता है तो हर कोई दंगह रह जाता है। मुमताज महल की मृत्यु के बाद शाहजहां की भोग की भूख भरी नहीं थी। आए दिन मीना बाजार में जिस सुंदर महिला को पसंद करता उसे ही अपने हरम में बुला लेता। महिला के परिजनों अगर विरोध करते थे तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देता था। शाहजहां ने मुमताज महल से जन्मी अपनी सगी बेटी को भी नहीं बख्शा। मुमताज महल की कोख से जन्मी जहांआरा देखने में अपनी मां की तरह सुंदर थी।
शाहजहां की जब अपनी बेटी पर नजर पड़ती तो उसे मुमताज की मन ही मन याद आती थी। आखिरी में बादशाह के सब्र का बांध टूट गया। उसने मुमताज की याद में अपनी बेटी जहांआरा के साथ शारीरिक संबंध बनाने शुरू कर दिये। वह अपनी बेटी का इतना आदी हो गया कि उसका निकाह तक भी नहीं होने दिया। बाप बेटी के प्यार की जब महल में चर्चा शुरू हुई तो कुछ लोगों ने एक बैठक बुलाई। बैठक में मुल्ला मौलवियों की एक बैठक में इस पाप करार दिया। दूसरी ओर शाहजहां ने इस पाप को जायज साबित करने के लिए एक ऐसा उदाहरण पेश किया जिसे जान आप भी सन्न रह जाएंगे। बादशाह ने कहां माली को अपने द्वारा लगाए पेड़ का फल खाने का हक है।
- बेटी पर रहती थी शाहजहां की गंदी नजर
मुगल बादशाह मुमताज महल की बड़ी बेटी जहांआरा को इतनी रखैल समझता था कि उसपर हमेशा पहली नजर रखता था। जहांआरा के किसी भी आशिक को वह उसके पास फटकने नहीं देता था। कहा जाता है कि एक बार जहाँआरा जब अपने एक आशिक के साथ इश्क लड़ा रही थी तो शाहजहां आ गया जिससे डरकर वह हरम के तंदूर में छिप गया। शाहजहां ने तंदूर में आग लगवा दी और उसे जिंदा जलाकर मार दिया गया। शाहजहां अपनी बेटी के प्यार में इतने पागल हो गया कि जहांआरा की शादी तक नहीं होने दी।