नई दिल्ली। लोग आज के समय में उनके पास जो है, उसमें खुश ना रहकर दूसरे की धन पर कूट दृष्टि बनाकर बैठे रहते हैं। अपने पास जो है उससे खुश ना होकर दिन-रात दूसरे क्या सोचते हैं, अपनी और हानि करते रहते हैं बल्कि लालच और दूसरों की चीज पाने की चाहत और उन्हें उनके ही चीजों से काफी दूर ले जाती है। आज के समय में हर कोई लखपति बनने का सपना देखता है, लेकिन यह सपना सच कुछ ही लोगों का होता है। कुछ लोग कठोर परिश्रम कर अपने मुकाम को हासिल कर लेते हैं। तो वहीं कुछ लोग दूसरों की संपत्ति पर बुरी नजर डालते हैं।
चाणक्य की नीति मनुष्य को उनके जीवन को सफल बनाने के लिए ही है। लालच ऐसी चीज है कि मनुष्य के अंत काल तक उसका साया नहीं छोड़ती। चाहे अपना जीवन खुद सवार सकता है या उसे बिखेर सकता है या उसके ही हाथ में होता है।
आचार्य चाणक्य ने अपने पहले अध्याय के 13 श्लोक में बताया है कि ‘मनुष्य अपने पास जो चीज है उसको छोड़ कर दूसरों की चीजें जो कोसों दूर है उसके पीछे भागता है। वह चीज उसे उसकी ही चीज से काफी दूर ले कर चली जाती है। वह दोनों चीजों से हाथ धो बैठता है। अक्सर तब होता है जब आप बिना प्लानिंग के कोई कार्य करते हैं।
आचार्य का कहना है कि जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित का साथ पकड़ता है, उसका निश्चित भी साथ छोड़ देता है। सफलता तभी मिलती है जब रणनीति अच्छी हो आप सही और गलत में परख समझते हैं तभी आप दुनिया में राज कर सकते हैं।
वही अगर आपने कोई काम सोचा है या उसकी तैयारी की है तो उसे पहले खत्म करना चाहिए। क्योंकि उसका लक्ष्य निर्धारित होता है और वह काम आप के पक्ष में होता है। इसकी वजह से उसे पहले करना चाहिए। लालच तो हमेशा ही लोगों को उनकी परिवार और उनके जिंदगी को तबाह कर देती है। अच्छा तो यही होगा कि लालच ना करके हमारे पास जो कुछ भी है हम उसमें ही संतुष्ट होकर अपना जीवन व्यतीत करें।