नई दिल्ली: अमेरिका के ह्यूस्टन विश्वविद्यालय (University of Houston) में हिंदू धर्म पर पढ़ाए जा रहे एक कोर्स को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय-अमेरिकी छात्र और कार्यकर्ता वसंत भट्ट ने विश्वविद्यालय पर हिंदू धर्म को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस कोर्स को हिंदू विरोधी बताया है और कहा है कि यह भारत के राजनीतिक परिदृश्य को विकृत करता है। वसंत भट्ट विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के छात्र हैं। उन्होंने कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड सोशल साइंसेज के डीन के पास शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि प्रोफेसर आरोन माइकल उलेरी “लिव्ड हिंदू धर्म” नामक एक कोर्स पढ़ाते हैं, जिसमें हिंदू धर्म को एक प्राचीन जीवित परंपरा के बजाय एक राजनीतिक उपकरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

छवि खराब हो रही

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, भट्ट का कहना है कि इस कोर्स में कहा गया है कि हिंदू धर्म का इस्तेमाल हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा अल्पसंख्यकों को दबाने के लिए किया जाता है। साथ ही, यह दावा किया गया है कि ‘हिंदू’ शब्द हाल ही में अस्तित्व में आया है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, खासकर हिंदुत्व के संदर्भ में। यह कोर्स ऑनलाइन पेश किया जाता है, जिसमें प्रोफेसर उलेरी द्वारा साप्ताहिक वीडियो व्याख्यान दिए जाते हैं।

भट्ट ने पाठ्यक्रम से उद्धरण साझा किए हैं, जिसमें बताया गया है कि हिंदुत्व हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा अन्य धर्मों, खासकर इस्लाम को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक उपकरण है। भट्ट का कहना है कि यह पाठ्यक्रम हिंदू धर्म के खिलाफ पूर्वाग्रह को बढ़ावा दे रहा है और इसे गलत तरीके से पेश कर रहा है, जिससे हिंदू धर्म की छवि खराब हो रही है। ह्यूस्टन विश्वविद्यालय ने वसंत भट्ट द्वारा उठाई गई चिंताओं को स्वीकार कर लिया है।

गलत तरीके से प्रस्तुत करता

इसने पाठ्यक्रम की समीक्षा की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि वे सुनिश्चित करेंगे कि सभी दृष्टिकोण सही तरीके से प्रस्तुत किए जाएं। यह विवाद तब सामने आया है जब भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) की रिपोर्ट को खारिज कर दिया। इस रिपोर्ट में भारत पर धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने USCIRF 2025 की रिपोर्ट देखी है, जो एक बार फिर पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित मूल्यांकन प्रस्तुत करती है। यह जानबूझकर तैयार किया गया एजेंडा है जो भारत के जीवंत बहुसांस्कृतिक समाज को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है।

भेदभाव न फैलाएँ

यह विवाद धर्म और राजनीति के बीच की जटिलता को उजागर करता है, खासकर जब हिंदू धर्म के अकादमिक अध्ययन की बात आती है। विश्वविद्यालयों का कर्तव्य है कि वे आलोचनात्मक सोच और चर्चा को बढ़ावा दें, लेकिन यह भी आवश्यक है कि धार्मिक अध्ययन पाठ्यक्रम किसी भी तरह का पूर्वाग्रह या भेदभाव न फैलाएँ। ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में हिंदू धर्म को लेकर यह विवाद अमेरिका और भारत के बीच धार्मिक स्वतंत्रता और राजनीतिक पूर्वाग्रह के मुद्दों को और जटिल बना सकता है। यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाता है जब यह विवाद वैश्विक ध्यान आकर्षित करता है, और यह दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है।

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