इनकम टैक्स रिटर्न को आसानी और सही से भरने के लिए फॉर्म 26AS, AIS और TIS बहुत जरूरी हैं। अगर आप इन तीनों का सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं तो आपका रिटर्न सही से फाइल होगा। साथ ही कोई गलती होने या नोटिस आने की संभावना कम जो जाती है।
फॉर्म 26AS क्या है?
फॉर्म 26AS को एक तरह का टैक्स पासबुक माना जाता है। इसमें पूरे साल की टैक्स की जानकारी होती है। इसमें टीडीएस (TDS) कटने की जानकारी होती है। जैसे कि कितना TDS कटा है। प्रॉपर्टी खरीदने पर इसपर काटा गया TDS, बैंक के ब्याज पर कटा TDS या किसी ट्रांजैक्शन पर टीसीएस (TCS) सभी जानकारी होती हैं।
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इसमें पहले कई तरह की जानकारी होती थीं। हालांकि असेसमेंट ईयर 2023-24 के बाद से TDS और TCS की जी जानकारी दिखाई देती है। यह जानकारी TRACES पोर्टल पर देख सकते हैं। इसके आलावा दूसरी जानकारी AIS यानी एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement) में दिखाई देती हैं। इसे इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग आधिकारिक वेबसाइट पर देख सकते हैं।
क्या मतलब है AIS का
AIS यानी एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement) में फॉर्म 26AS से ज्यादा जानकारी दी रहती है। इसमें इनकम टैक्स की जानकारी नहीं बल्कि इनवेस्टमेंट, डिविडेंड, सेविंग बैंक अकाउंट के ब्याज, रेंटल इनकम, म्यूचुअल फंड, शेयर, प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री, विदेश में भेजे पैसे और जीएसटी टर्नओवर आदि की जानकारी होती है।
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TIS क्या है?
टैक्स पेयर्स को AIS के साथ TIS यानी टैक्सपेयर इनफॉर्मेशन समरी (Taxpayer Information Summary) दी जाती है। इसमें सभी फाइनेंशियल डिटेल को एकसाथ समरी के रूप में बताया जाता है। इसमें कैटेगरी के हिसाब से जानकारी दी जाती है। जैसे कि सैलरी, ब्याज, डिविडेंड आदि की जानकारी। अगर आप रिटर्न भरने के दौरान प्री-फिल्ड डेटा लेना चाहते हैं तो TIS के जरिए डेटा पहले से फॉर्म में आ जाएगा और आपकी फाइलिंग आसान हो जाएगी।
सही टैक्स फाइलिंग के जरूरी
अगर बिना किसी गलती के रिटर्न भरना चाहते हैं और बाद में नोटिस जैसे समस्या से बचना है तो Form 26AS, AIS और TIS को अच्छे से समझ लें और चेक कर लें। ये फॉर्म आपकी फाइलिंग को आसान और सही बनाते हैं।










