EPFO Update: रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा हर किसी के लिए एक बड़ी चिंता होती है। खासकर निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए, जहां उन्हें पेंशन जैसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं, वे अक्सर सोचते हैं कि रिटायरमेंट के बाद उनकी वित्तीय स्थिति क्या होगी। इस समस्या को हल करने के लिए, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) शुरू की है। यह योजना कर्मचारियों को उनकी सेवा अवधि के बाद नियमित पेंशन प्रदान करती है, ताकि वे अपनी सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय रूप से सुरक्षित रह सकें।
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) क्या है?
EPS, जिसे 1995 में लॉन्च किया गया था, एक प्रकार की सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसका उद्देश्य संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद नियमित आय प्रदान करना है। यह योजना EPFO द्वारा संचालित की जाती है और इससे जुड़े कर्मचारियों को 58 वर्ष की आयु पूरी होने पर पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। हालांकि, पेंशन पाने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना आवश्यक है, जैसे कि न्यूनतम 10 साल की सेवा पूरी करना।
पेंशन पाने की पात्रता
EPFO के नियमों के अनुसार, कोई भी कर्मचारी 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद पेंशन पाने का हकदार हो जाता है। हालांकि, यहां एक दिलचस्प बात यह है कि अगर किसी कर्मचारी ने 9 साल 6 महीने तक नौकरी की है, तो भी उसे पेंशन का लाभ मिल सकता है। इस तरह अगर आपकी सेवा अवधि 9 साल 6 महीने तक है, तो आप पेंशन के हकदार हो सकते हैं। लेकिन अगर आपने 9 साल से कम समय तक नौकरी की है, तो आपको पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा।
पीएफ खाते में कैसे किया जाता है योगदान?
ईपीएफओ के तहत कर्मचारियों का वेतन हर महीने उनके पीएफ खाते में जमा होता है। इस प्रक्रिया में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों योगदान करते हैं। कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 प्रतिशत पीएफ खाते में जाता है, जिसमें से 8.33 प्रतिशत ईपीएस खाते में और शेष 3.67 प्रतिशत ईपीएफ खाते में जाता है। इससे हर महीने ईपीएस खाते में कुछ राशि जमा होती रहती है, जो बाद में पेंशन के रूप में मिलती है।
नौकरी बदलने पर पेंशन का लाभ
कई बार कर्मचारियों के मन में यह सवाल होता है कि अगर उन्होंने अलग-अलग कंपनियों में काम किया है, तो क्या उन्हें पेंशन का लाभ मिलेगा? इसका जवाब है हां। ईपीएफओ के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी ने अलग-अलग संस्थानों में कुल 10 साल की सेवा की है, तो उसे पेंशन का लाभ मिल सकता है। इसके लिए कर्मचारी को अपना यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) बनाए रखना जरूरी है, ताकि उसकी सेवा अवधि जोड़ी जा सके।
नौकरियों के बीच गैप का असर
कभी-कभी नौकरी बदलने या कर्मचारियों के बीच गैप लेने की स्थिति आ जाती है। लेकिन ईपीएफओ के नियमों के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी ने अलग-अलग नौकरियों में 10 साल तक सेवा की है, तो उसे पेंशन का लाभ मिलेगा। यह ध्यान रखना जरूरी है कि कर्मचारी ने अपना यूएएन नंबर संभालकर रखा हो, ताकि सभी नौकरियों का रिकॉर्ड इकट्ठा किया जा सके।
यूएएन नंबर का महत्व
यूएएन (यूनिवर्सल अकाउंट नंबर) 12 अंकों का नंबर होता है, जो ईपीएफओ की ओर से हर कर्मचारी को दिया जाता है। यह नंबर कर्मचारी के पूरे करियर में एक जैसा रहता है, चाहे वह कितनी भी बार नौकरी क्यों न बदले। जब कर्मचारी नौकरी बदलते हैं, तो उन्हें अपना यूएएन नंबर नए नियोक्ता को देना होगा ताकि उनका पीएफ खाता उसी यूएएन से लिंक हो सके। इस प्रकार, सभी नौकरियों की सेवा अवधि को जोड़कर पेंशन पात्रता निर्धारित की जाती है।
