Aravali Tunnel: यह सच में एक बड़ी और सराहनीय उपलब्धि है। मोदी सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर दिया जा रहा जोर देश के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है। गुरुग्राम से वडोदरा तक बन रहे इस एक्सप्रेसवे में अरावली की पहाड़ियों में बनी टनल वाकई एक इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है।
इस टनल और एक्सप्रेसवे के पूरा होने से:
यात्रा का समय आधा हो जाएगा (22 घंटे से घटकर लगभग 10 घंटे)
फ्यूल की बचत होगी, जिससे यात्रा किफायती बनेगी
लॉजिस्टिक्स और व्यापार को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा
पर्यटकों और आम यात्रियों की सुविधा भी बढ़ेगी
बिलकुल, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल देश का सबसे लंबा बल्कि सबसे आधुनिक और हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे भी है। कुछ खास बातें जो इसे खास बनाती हैं:
लंबाई: 1,380 किलोमीटर
लागत: लगभग 1 लाख करोड़ रुपये
राज्य: ये एक्सप्रेसवे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा।
फायदे:
दिल्ली से मुंबई तक की यात्रा में समय 24 घंटे से घटकर लगभग 12 घंटे हो जाएगा।
लॉजिस्टिक्स लागत में भारी कटौती होगी
ईंधन की बचत, प्रदूषण में कमी और ट्रैफिक का बेहतर प्रबंधन होगा।
4 किलोमीटर लंबी जो टनल बनाई गई है, वह अरावली पहाड़ियों में है और इसे एक इंजीनियरिंग की चुनौती माना गया था। इसके पूरा होने से पूरा रूट लगभग तैयार हो चुका है।
टारगेट: अक्टूबर 2025 तक इसे पूरी तरह से ट्रैफिक के लिए खोलने का लक्ष्य रखा गया है।
आपकी दी गई जानकारी के अनुसार, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की जो सुरंग (टनल) बनाई जा रही है, वह राजस्थान में दौसा और कोटा जिलों के बीच स्थित है। यह सुरंग मुकुंदरा हिल्स के पास बनाई जा रही है और इसकी लंबाई लगभग 4 किलोमीटर है।
यह टनल मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के नीचे से गुजरती है, जिससे वहां के वन्य जीवों को बिना नुकसान पहुँचाए एक्सप्रेसवे को पहाड़ी इलाके से पार करवाया जा सके। यह सुरंग डबल लेन की है, जिसमें एक टनल पूरी तरह बन चुकी है और दूसरी पर अंतिम चरण का काम चल रहा है।
बिल्कुल सही कहा आपने। मुकुंदरा हिल्स में बनी यह सुरंग वास्तव में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इसके पार होते ही एक्सप्रेसवे गुजरात की सीमा में प्रवेश करता है और कोटा से वडोदरा के बीच एक सुगम, सीधा और तेज़ रूट प्रदान करता है।
इस पूरी योजना का मकसद यह है कि:
दिल्ली से मुंबई की दूरी, जो पहले 24 घंटे या उससे ज्यादा में तय होती थी, अब सिर्फ 12 घंटे में पूरी की जा सकेगी।
यह एक्सप्रेसवे मल्टी-लेन, ग्रीनफील्ड हाईवे है, जिससे न केवल समय बचेगा बल्कि ईंधन की बचत और प्रदूषण में भी कमी आएगी।
वडोदरा तक यह पहला खंड है, और वहां से आगे का हिस्सा मुंबई तक जाता है।
यह भारत के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से एक है, और इससे न केवल ट्रैवल टाइम घटेगा बल्कि ट्रेड, टूरिज्म और ट्रांसपोर्ट को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा।