नई दिल्ली। दिल्ली में हाल ही में आयोजित राष्ट्रीय आरोग्य मेले में पूर्णचंद्र गुप्त स्मारक ट्रस्ट और आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेद, सिद्ध, और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक उपचार विधाओं के विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सूत्रों की बात की है। इस मेले में यह विशेषज्ञों ने साझा किया कि आयुर्वेद, सिद्ध, और होम्योपैथी में उपचार विधियां हैं जो व्यक्ति को संतुलित और स्वस्थ जीवन जीने में सहारा प्रदान कर सकती हैं। आयुर्वेद में विशेषज्ञों ने बताया कि धार्मिकता, आहार, और योग के माध्यम से व्यक्ति अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकता है। सिद्ध चिकित्सकों ने प्राकृतिक उपचारों को प्रमोट किया और होम्योपैथी के विशेषज्ञों ने युक्तिवादी और संवेदनशील दृष्टिकोण से स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती महत्वपूर्णता पर चर्चा की। इसमें से प्रत्येक परंपरा अपने उनिकल तरीके से स्वस्थ जीवन के मार्ग को साधने में मदद कर सकती है। यह स्मारक मेला विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को समर्थन और समर्पण का माहौल प्रदान करता है, जिससे लोग अपनी स्वास्थ्य से जुड़े सही निर्णय लेने में सक्षम हो सकते हैं।
आयुर्वेद में माना जाता है कि सर्दी के मौसम में व्रिद्धि दोष का प्रकोप बढ़ता है, और इस समय उपवास विशेष रूप से लाभकारी है। इससे शरीर में अनिवार्य गंदगी बाहर निकलती है और रोग प्रतिरोधक्षमता मजबूत होती है। सर्दी के मौसम में गर्म और सुखी आहार, जैसे अजवाइन, हींग, अदरक, और गर्म पानी का सेवन करना लाभकारी है। विभिन्न औषधियों का सही तरीके से सेवन करना और योगाभ्यास भी इस मौसम में स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करता है। इस रीति-रिवाज़ का पालन करके हम अपने आरोग्य को सुरक्षित रख सकते हैं।
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए जा रहे हैं जो हमें स्वस्थ और सकारात्मक जीवनशैली के दिशानिर्देश प्रदान करेंगे।
- सुबह जागने का समय: ब्रह्म मुहूर्त यानी सोमवार का अखण्ड अधिक महत्वपूर्ण होता है। यदि ब्रह्म मुहूर्त में उठना संभव नहीं है, तो कम से कम सूर्योदय से पहले उठने का प्रयास करें।
- शरीर का विचार: सुबह उठते ही अपने हर अंग पर ध्यान दें। अन्दर की स्थिति को समझें और उसके अनुसार कार्यवाही करें। जल्दबाजी न करें और स्थिति का समीक्षा करें।
- योग और व्यायाम: योग और व्यायाम अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण साधन है। योगाभ्यास और व्यायाम के लिए समय निकालें और नियमित रूप से कार्य करें।
इन नियमों का पालन करके हम अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं और एक सकारात्मक जीवनशैली का आनंद उठा सकते हैं। गरम पानी से कुल्ला नियमित करना सेहत के लिए लाभकारी है, इस मौसम में यह खासतर से सुझावनीय है। अभ्यांग, तेल मालिश, रक्तसंचार को बढ़ाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। आयुर्वेद के अनुसार, भोजन में छह रसों का संतुलन होना चाहिए, जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। भोजन के समय पेट के आधे भाग में ठोस भोजन, एक चौथाई में द्रव, और एक चौथाई भाग खाली रखना चाहिए। पर्याप्त नींद लेना और आहार में संतुलन बनाए रखना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।