Amitabh Bachchan Remebers His Father: जब तक जीवन है संघर्ष है, ये कुछ अंतिम लाइन है कुछ कविता की जो अमिताभ बच्चन के पिता महान लेखक हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) ने अमिताभ को नई दिशा दिखाने के लिए लिखी थी। अक्सर अमिताभ बच्चन अपने पिता के बारे में जिक्र करते है, उनके बारे में लिखकर या अपने शो KBC में बताते है कि कैसे उनके पिता ने उनका मार्ग दर्शन किया और उन्हें जीवन के विषय में सिखाया। इस बार अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग के माध्यम से बताया है कि किस प्रकार उन्होंने अपने पिता से एक बार पूछा था की ‘अपने हमे क्यों पैदा किया ‘?
आपको शायद नही पता होगा को 2008 के एक ब्लॉग में अमिताभ बच्चन ने अपना स्कूल खत्म होने के बाद की सबसे बड़ी उलझन के बारे में बताया की किस प्रकार वो अपनी स्कूल की पढ़ाई खत्म होने के बाद परेशान थे। इस बार उन्होंने बताया कि अपने भविष्य की चिंता उन्हें अधिक परेशान करती थी। वो लिखते है की खुद के साथ क्या करना है इस चीज का अधिक गुस्सा था। इसी गुस्से में इसी गुस्से में एक युवा अमिताभ बच्चन अपने पिता के पास जाते है और घुटन भरे मन के साथ ऊंची आवाज में अपने पिता से पूछते है कि “आपने मुझे क्यों पैदा किया”?
इसके बाद अमिताभ बताते हैं कि उनके पिता हमेशा की तरह लिखने में व्यस्त थे उन्होंने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा और देखते ही रहे जब तक मैं वहां से चला नहीं गया वह मुझे देखते रहे जब वह कुछ नहीं बोले तो अमिताभ अपने कमरे में चले गए यह रात उसके लिए बहुत मुश्किल थी।
आगे अमिताभ ने बताया कि अगली सुबह उनके पिता ने ही उन्हें जगाया और एक कागज उनके हाथ में थमा दिया जिसमें उन्होंने एक कविता लिखी थी वह कविता जो अमिताभ के जीवन की दिशा को बदलने के लिए काफी थी। अमिताभ ने इस कविता के एक हिस्से का अनुवाद अपने ब्लॉग में लिखा है यह इस प्रकार है –
मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं तुमने हमें जन्म क्यों दिया और इसका जवाब मेरे पास नहीं है, कि मेरे पिता ने भी मुझे जन्म देने से पहले मुझसे नहीं पूछा। ना ही मेरे पिता ने उसे पैदा करने से पहले उसके पिता से पूछा, ना ही मेरे दादाजी ने उन्हें लाने से पहले अपने पिता से पूछा, कविता के अंत में उनके पिता ने उन्हें एक नई दिशा दिखाई और बताया कि किस प्रकार वह दुनिया के तौर-तरीकों को बदल सकते हैं। उनके पिता ने कहा क्यों नहीं आप एक नई शुरुआत कर एक नई सोच से अपने बेटों को जन्म देने से पहले उनसे पूछ ले।
इसके बाद अमिताभ बच्चन ने इस कविता के निष्कर्ष को छोटे शब्दों में लिखा उन्होंने कहा कि जीवन में कोई बहाना नहीं है और कोई दोष नहीं है। हर सुबह एक चुनौती के साथ आती है या तो हम चुनौती को उठाना उसका सामना करना सीख ले या फिर उस चुनौती के सामने आत्मसमर्पण कर दें जब तक जीवन है तब तक संघर्ष लगातार चलता रहेगा।