नई दिल्ली: CSC Van Dhan Scheme: देश की सरकार द्वारा देश के लोगों के कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं को चलाने का मकसद देश के लोगों को सही तरह से जीवन जीने में मदद करना है। सरकार इसके लिए कई तरह से लोगों की आर्थिक मदद करती है। ऐसे ही सरकार द्वारा जनजाति लोगों के लिए एक स्कीम चलाई जा रही है। इस स्कीम का नाम सीएससी वन धन स्कीम (CSC Van Dhan Scheme) है। यह स्कीम भारत सरकार, TRIFED और CSC ने मिलकर शुरू की है। आज हम यहां इस स्कीम के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
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क्या है CSC Van Dhan Scheme?
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सीएससी वन धन स्कीम (CSC Van Dhan Scheme) को शुरू करने का मुख्य उद्धेशय जनजातियों के जीवन स्तर को सही बनाना है। इसके आलावा जनजातियों द्वारा प्रोडूस किए गए या जंगल से इकठ्ठा किए गए प्रोडक्ट को बाजार में सही दाम पर बिकवाने के लिए सही व्यवस्था करना और उनकी आर्थिक मदद करने के लिए भारत सरकार ने TRIFED के साथ मिलकर CSC के साथ यह स्कीम शुरू की है।
क्या है TRIFED?
TRIFED का पूरा नाम The Tribal Cooperative Marketing Development Federation Of India है। TRIFED का काम ही यह है कि उसे जनजातियों द्वारा प्रोडूस किए गए या जंगल से इकठ्ठा किए गए प्रोडक्ट को बाजार में सही दाम पर बिकवाने के लिए सही व्यवस्था करना और अगर उन्हें कोई नुकसान होता है तो उसके लिए आर्थिक मदद करना है।
Van Dhan Scheme में कैसे मिलेगा लाभ?
गौर करें तो अभी भी जनजति लोगों के जीवन में सुधार नहीं हो पाया है। साथ ही उनके जीवन जीने के स्तर में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। इसी को देखते हुए सरकार ने यह स्कीम शुरू की। वहीं इस काम का जिम्मा CSC को सौंपा है। देखा जाए तो CSC की पहुंच ग्रामीण इलाकों में ज्यादा होती है और ऐसे ही इलाकों में CSC आवास करते हैं। इस तरह सीएससी वन धन स्कीम (CSC Van Dhan Scheme) का फायदा सीधा पहुंचाया जा सकेगा।
इस स्कीम के तहत जनजाति लोगों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। उन्हें बिजनेस कैसे करना है और बाजार में प्रॉफिट कैसे कमाना है आदि चीजों के बारे में बताया जाएगा। साथ ही जंगल से निकाले गए उत्पादों को बाजार में कैसे भेजेंगे और उनके बदले सही कीमत कैसे पानी है आदि चीजों के बारे में बताया जा जाएगा। इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके साथ ही कोई आर्थिक सहायता देनी होगी तो वो भी सरकार की तरफ से दी जाएगी।
वन धन योजना का मुख्य उद्देश्य (CSC Van Dhan Scheme)
इस स्कीम का मकसद जनजाति समुदाय के लोगों की जीवन स्तर में सुधार लाना है।
जनजातियों द्वारा इकठ्ठा किए गए या उत्पन्न किए गए माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस (MFP ) को सही कीमत दिलवाना है, जिससे कि जनजाति के लोगों की आय बढ़ सके।
हर जिले में 300 जनजाति लोगों के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर बनाया जाएगा, जिसके जरिए ट्रेनिंग और आर्थिक रूप से मदद दी जाएगी।
इस स्कीम के तहत हर जिले में 15 केंद्रों की स्थापना करने का उद्देश्य रखा गया है। हर पंचायत में 20 लोगों का एक स्वयं सहायता समूह भी बनाया जाएगा।
अगर बाजार में प्रोडक्ट की कीमत में उतार-चढाव होता है तो TRIFED कृषि मंत्रालय से बात कर जनजाति लोगों के लिए मुआवजे आदि दिलावएगा।
यही नहीं TRIFED जनजातियों द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट को खरीद लेगा।
वन धन योजना में VLE की भूमिका
इस स्कीम में CSC के VLE की भूमिका काफी अहम है, क्योंकि VLE ही जनजाति लोगों को ट्रेनिंग देने, इन्हें इकठ्ठा करने और इनका ग्रुप बनाने का काम करेगा। इसके आलावा VLE जनजाति वर्ग के लोगों को 30 लाख रुपये तक का अनुदान सरकार से दिलवाता है। सरकार द्वारा यह अनुदान ऐसे जनजाति लोगों को दिया जाता है, जो उत्पाद को बढ़ाने के लिए मशीन खरीदना चाहते हैं या अपने उत्पाद को रखने के लिए एक स्टोर बनाना चाहते हैं। वैसे यह काम करके VLE को भी अच्छी-खासी कमाई होती है।
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वन धन योजना के लिए केंद्रों का गठन
सरकार ने देश के सभी जरूरतमंद गांव और जनजाति लोगों को इस स्कीम में शामिल करने का उद्देश्य रखा है। इसके लिए 30,000 से भी ज्यादा केंद्रों की स्थापना की जाएगी। देश के राष्ट्रपति ने भी अपने एक भाषण में इसका बात का जिक्र करते हुआ कहा था कि भारत के हर गांव को इस स्कीम में शामिल किया जाएगा और करीब 600 गांव को इस स्कीम में शामिल कर दिया जाएगा।