SBI की बंपर कमाई स्कीम, खाते में 1 लाख जमा करने पर होंगे 2 लाख रुपये, जानें पूरी डिटेल

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नई दिल्ली SBI FD Scheme: अगर निवेश की बात आती है तो लोग एफडी की तरफ रुख करते हैं। इसमें निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है। इसमें मिनिमम जोखिम के साथ में या बिना किसी जोखिम उठाएं पैसा दोगुना किया जा सकता है। देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई भी अपने ग्राहकों को अलग-अलग टेन्योर पर स्कीम्प पेश की हैं।

ग्राहकों को 7 दिन से लेकर 10 सालों तक की एफडी की सुविधा मिलती है। मैच्योरिटी पर एफडी पर एसबीआई रेगुलर ग्राहकों को 3 फीसदी से 6.5 फीसदी और बुजुर्गों को 3.5 फीसदी से 7.5 फीसदी तक सालाना ब्याज देता है।

ऐसे में मान लें कि एक रेगुलर ग्राहक एसबआई की 10 सालों की मैच्योरटी स्कीम में एकसाथ में 1 लाख रुपये जमा करता है। SBI एफडी कैलकुलेटर के मुताबिक निवेशक को 6.5 फीसदी की ब्याज दर पर मैच्योरिटी पर कुल 1 लाख 90 हजार 555 रुपये प्राप्त होंगे। इसमें ब्याज से 90 हजार 555 रुपये की फिक्स इनकम प्राप्त होगी।

वहीं SBI की 10 साल की मैच्योरिटी स्कीम में एक बुजुर्गों को एकसाथ 1 लाख रुपये जमा करता है। एसबीआई एफजी कैलकुलेटर के मुताबिक बुजुर्गों को 7.5 फीसदी सालाना दर पर मैच्योरिटी पर कुल 2 लाख 10 हजार 234 रुपये प्राप्त होंगे। इसमें ब्याज से 1 लाख 10 हजार 234 रुपये प्राप्त होंगे।

बैंकों की एफडी खासतौर पर ये सुरक्षित मानी जाती है कि ये उन इनवेस्टों के लिए अच्छा खासा ऑप्शन है जो कि जोखिम नहीं लेते हैं तो 5 सालों की टैक्स सेविंग एफडी पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स में कटौती का लाभ मिलता है। बहराल एफडी से मिलने वाले ब्याज से टैक्स लगता है।

इनकम टैक्स के मुताबिक एफडी स्कीम पर स्त्रोत पर टैक्स की कटौती होती है। इसका अर्थ है कि एफडी की मैच्योरिटी मिलने वाली राशि आपकी इनकम मानी जाएगी और आपको स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स देना होगा। इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, जमाकर्ता टैक्स कटौती से छूट के लिए फॉर्म 15जी, 15 एच जमा कर सकता है।

5 लाख रुपये तक की जमा रकम का बीमा किया जाता है?

यदि आप बैंक ग्राहत हैं तो आपको ये जरुर पता होगा कि यदि आपका बैंक खाता होता है या दिवालिया हो जाता है तो बैंक में इसे जमा राशि पर आपको 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर मिलता है। ये राशि ग्राहकों को जमा इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन के द्वारा दी जाती है।

डीआईसीजीसी देश के बैंकों का बीमा करता है पहले इस एक्ट के तहत बैंक के डूबने या फिर दिवालिया होने की स्थिति में 1 लाख रुपये तक की राशि दी जाती थी। लेकिन सरकार ने इसको बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक कर दिया है। जिन बैंक की शाखा देश में है वह इस दायरे में आते हैं।

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