नई दिल्ली ITR: अगर आप सैलरीड कर्मचारी हैं तो आपको टैक्स का भुगतान करना बेहद जरुरी है। वहीं जिनका सालाना टैक्स 10,000 रुपये से अधिक हैं तो उनको एडवांस टैक्स जमा करना होता है। वहीं सैलरीड कर्मचारियों के लिए एप्लॉयर खासतौर पर उनके महीने की सैलरी से एडवांस टैक्स काटते हैं और टैक्स डिपारमेंट में जमा करा देते हैं। 10 हजार रुपये या फिर उससे अधिक की लिमिट में टैक्स से टीडीएस, टीसीएस क्रेडिट धारा 89 राहत आदि के सभी टैक्स क्रेडिट की कटौती के बाद में आती है। ऐसे में एडवांस टैक्स को लेकर कुछ बातों के बारे में ध्यान रखना चाहिए।
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सैलरीड कर्मचारियों के लिए जरुरी है टैक्स भुगतान का ये नियम
वहीं सैलरी पर टैक्स नियोक्ता के द्वारा काटा जाता है। इसीलिए एडवांस टैक्स को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। बहराल यहां पर ध्यान देने वाली बात ये है कि साल में जब रोजगार में बदलाव होता है कि इस बात की काफी संभावना होती है कि नए नियोक्ता ने बीते रोजगार के बारे में कोई जानकारी न रखते हुए गलत तरीके से टैक्स की कैलकुलेशन की हो और उसके आधार पर टैक्स काट लिया गया हो। इस मामले में शख्स को टैक्स की कैलकुलेशन करने और नए नियोक्ता को सूचित करने की सलाह दी जाती है। अगर वह टैक्स में कटौती नहीं कर रहे हैं तो जैसा कि उनको करना चाहिए, तो इस मामले में अपने हाथ में ले सकता है और एडवांस टैक्स का भुगतान न करने पर ब्याज से बचने के लिए खुद टैक्स का भुगतान कर सकता है।
वहीं प्रोफेशनल जो कि संभावित टैक्स का चुनाव कर रहे हैं उनको इस बारे में फाइनेंशियल ईयर के 15 मार्च के भीतर एडवांस टैक्स की पूरी रकम का पेमेंट करना होगा। जबकि दूसरे सभी निर्धारतियों पर लागू तिमाही आधार पर आग्रिम कर का भुगतान करना होगा।
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NRI के लिए एडवांस टैक्स का भुगतान
वहीं एडवांस टैक्स के प्रावधान दूसरे निवासी करदाताओं के जैसे ही लागू होते हैं। अगर किसी NRI की साल के लिए संभावित टैक्स 10 हजार रुपये से अधिक हैं। तो उसको अपना एडवांस टैक्स का भुगतान करना होगा। वहीं वरिष्ठ नागरिक जो कि इस फाइनेंशियल ईयर 60 साल या फिर उससे अधिक आयु के हैं या फिर जिनकी बिजनेस या फिर पेशे से कोई इनकम नहीं है, तो उनको एडवांस टैक्स दाखिल करना जरुरी नहीं होगा।
कितनी लगेगी पेनाल्टी
वहीं एडवांस टैक्स की किसी भी किस्त का पेमेंट करने में कोई भी कमी या चूक टैक्सपेयर्स के लिए ब्याज का बोझ बढाएगी। इसके साथ ही सेक्शन 234C के भुगतान में देरी के मंथली किस्त की राशि में कमी पर 1 फीसदी का ब्याज लगाती है। इसमें कुल टैक्स पर 10 फीसदी तक की मार्जिन की अनुमति है। इसका अर्थ है कि अगर टैक्स पेयर्स समय सीमा के भीतर मूल्यांकन किए गए टैक्स का 90 फीसदी से कम पेमेंट करते हैं तो धारा 234B के मुताबिक टैक्सपेयर्स को मूल्यांकन वर्ष में मंथली के लिए 1 फीसदी का भुकतान करना होगा। जबकि कमी और देरी जारी रहेगी। ये ध्यान देना चाहिए कि ब्याज की गणना के लिए मंथली कुछ हिस्से को भी पूरे महीने के रूप में काउंट किया जाता है।