नई दिल्ली EPFO Insurance Cover: EPFO के द्वारा अपने सभी सब्सक्राइबर्स को लाइफ इंश्योरेंस की सुविधा दी जाती है। EPFO की इस सुविधा के जरिए सब्सक्राइबर्स को 7 लाख तक का बीमा दिया जाता है। EPFO ने इसे एम्प्लॉइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस नाम दिया है। यहां पर जानें स्कीम से जुड़ी सारी डिटेल
जानें क्या है EDLI स्कीम
EDLI स्कीम की शुरुआत ईपीएफओ की तरफ से 1976 में किया गया था। अगर किसी वजह से ईपीएओ सदस्य की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को आर्थिक रूप से सहायता देने के उद्देश्य से शुरु किया गया था। ये बीमा कवर एकदम से फ्री में दिया जाता है। ईडीएलआई के लिए योगदान कंपनी की तरफ से किया जाता है।
कैसे तय होती है राशि
बीमा रकम बीते 12 महीनों की बेसिक सैलरी और डीए पर डिपेंड करती है। बीमा कवर का क्लेम आखिरी बेसिक प्लस डीए का 35 गुना होगा। इसके साथ में क्लेम करने वाले को 1 लाख 75 हजार रुपये का तक का बोनस भी दिया जाता है।
जब तक नौकरी तब तक नौकरी कवर
ईपीएफओ सदस्य सिर्फ ईडीएलआई स्कीम के द्वारा तब तक ही कलर किया जाता है जब तक वह नौकरी करता है। नौकरी के छोड़ने के बाद उसके परिवार या फिर नॉमिनी को क्लेम नहीं कर सकते हैं। यदि ईपीएफओ मेंबर लगातार 12 महीनों से नौकरी करता है तो कर्मचारी की मौत के बाद नॉमिनी को कम से कम 2.5 लाख तक का लाभ मिलेगा।
नॉमिनेशन न होने पर नहीं होंगे हकदार
नौकरी करने के समय कर्मचारी की बीमारी, दुर्घटना या फिर स्वाभाविक मौत होने पर ईडीएलआई को लेकर क्लेम किया जा सकता है। ईडीएलआई स्कीम के तहत कोई भी नॉमिनेशन नहीं हुआ है तो कवरेज मृत कर्मचारी का जीवनसाथी, कुंवारी बेटियां और नबालिग बेटा और बेटे इसके हकदार होंगे।
कैसे करें क्लेम
अगर आप ईपीएफ सब्सक्राइबर्स की असमय मौत हो जाती है तो उसके नॉमिनी या फिर कानूनी उत्तराधिकारी इंश्योरेंस कवर के लिए क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए नॉमिनी की आयु कम से कम 18 साल की होनी चाहिए। इससे कम होने पर माता-पिता क्लेम कर सकते हैं।
वहीं याद रखें क्लेम करते समय मृत्यु प्रमाण पत्र, सक्सेशन सर्टिफिकेट जैसे कागजात की आवश्यकता होती है। अगर दावा नाबालिग के माता-पिता की तरफ से किया जा रहा है को माता-पिता दस्तावेज और बैंक की सारी जानकारी देंगे।