अच्छे कर्म करें, न्यायप्रिय शनि से देते हैं कर्मों का फल

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Santy

शनि को शांत के साथ ही साथ कठोर ग्रह भी माना गया है। तात्पर्य है कि जिनकी कुंडली के दूसरे भाव में शनि (Saturn) होते हैं, वे यदि अच्छे कर्म करेंगे, तो उसे उसका अच्छा फल मिलेगा। हालांकि, यदि वह जानबूझकर गलत मार्ग पर जाता है, तो उसके बुरे परिणाम भी भुगतने को मिलते हैं। यही कारण है कि शनि (Saturn) को न्याय प्रिय भी कहा गया है।

विदेश यात्रा का योग
जन्म कुंडली के दूसरे भाव में शनि की स्थिति से व्यक्ति धार्मिक स्वभाव का होता है। सुख-समृद्धि की तलाश में उसके विदेश यात्रा की भी संभावना होती है। जिन लोगों की कुंडली के दूसरे भाव में शनि ग्रह होते हैं, वह व्यक्ति अनुशासित, शांत और ईमानदार होता है।

हो सकती है आर्थिक समस्या
दूसरे भाव में शनिके कारण आर्थिक समस्याओं का भी समाना करना पड़ सकता है। धन हानि की भी संभावना बनी रहती है। दूसरे भाव में शनि के प्रभाव से व्यक्ति मृदु भाषी हो सकता है, लेकिन अक्सर वह कड़वा भी बोल सकता है। इस कारण परिवार से भी दूरी बन सकती है।

सकारात्मक प्रभाव
कुंडली के दूसरे भाव में शनि व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है। शनि के प्रभाव से दूरदर्शी एवं गंभीर होता है। ऐसे लोग सफलता के शिखर को छूते हैं।

नकारात्मक प्रभाव
ज्योतिष में कुंडली के दूसरे भाव में शनि के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। धन की कमी होने के कारण ये खर्च करने के मामले में भी संकोची होते हैं। ये ज्यादा से ज्यादा धन संचय करना चाहते हैं।

करें उपाय, होगा लाभ
ऐसे लोगों को आर्थिक मामलों में सावधानी बरतने की जरूरत है। शनि के प्रभाव को कम करने के लिए माथे पर दही और दूध का तिलक लगाना एवं स्पर्श करना लाभकारी होता है। ऐसे लोगों को हमेशा प्रसन्न और सकारात्मक रहने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिदिन कौए को रोटी खिलाने और तेल का दान करने से लाभ होगा।

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