Chhath Puja 2023 Day 3: छठ पूजा का आज तीसरा दिन है और इस दिन अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है, जो काफी पुरानी है। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन महिलाएं उपवास करती हैं और शाम के समय किसी तालाब में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं फिर इसके बाद सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता हैं। लेकिन छठ का ये तीसरा दिन बहुत ही खास माना जाता है। कैसे चलिए, आपको बताते हैं।
आज कब दिया जाएगा अर्घ्य?
आज शाम यानी 19 नवंबर को सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पर्व का यह पहला अर्घ्य होगा और अर्घ्य देने का सही समय शाम 5 बजकर 26 मिनट है। वहीं मान्यता है कि इस दिन व्रती महिला के अलावा उनके परिवार के सदस्यों को भी अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव की अराधना कर फिर इसके बाद 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। आपको बता दें कि 20 नवंबर को सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा। व्रती के पारण करने के बाद 36 घंटे के व्रत का समापन होगा।
कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को महिलाएं उपवास करती हैं और संध्याकाल में अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह अर्घ्य पानी में दूध डालकर दिया जाता है। वहीं व्रती महिलाओं के अलावा उनके परिवार के सदस्य को भी सूर्य अर्घ्य देना चाहिए या वहां मौजूद होना चाहिए। इस शाम में अर्घ्य देने के लिए बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, चावल के लड्डू, नारियल, गन्ना मूली, कंदमूल आदि को सूप में सजाकर इसकी पूजा की जाती है। छठ का व्रत करने वाली महिलाएं खरना वाले दिन बने प्रसाद को ग्रहण करने के बाद कुछ नहीं खाती हैं, जिसके बाद से 36 घंटों का निर्जला व्रत शुरू होता है।
छठ पर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चौथे दिन यानी कल उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है और इसके बाद ही व्रती महिलाएं कुछ खा पी सकती हैं. मान्यता है कि इन 36 घंटों को दौरान व्रती महिलाओं को पानी, जूस, दूध या किसी भी अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए.
सूर्य देव को अर्घ्य कैसे दें
– इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए किसी साफ सुथरे लोटे में जल लेकर उसमें कच्चा दूध मिला लें।
– अब इसी लोटे में लालचन्दन, लालफूल, चावल और कुश डालकर मन से सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं।
– अब पानी के लोटे को छाती के बीच हाथों को थोड़ा ऊपर उठाएं और सूर्य मंत्र का जाप करें।
– अब धीरे-धीरे जल की धारा प्रवाह कर सूर्य देव को अर्घ्य दें और पुष्पांजलि अर्पित करें।
– इस जल को प्रवाहित करते समय आपकी नजर कलश की धारा वाले किनारे पर ही होनी चाहिए।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.Timesbull.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.