Fastag Update: भारत सरकार ने 1 मई 2025 से FASTag सिस्टम को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। इसकी जगह अब GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) आधारित टोल सिस्टम शुरू किया गया है। यह नई तकनीक वाहन चालकों के लिए काफी सुविधाजनक होगी क्योंकि अब टोल का भुगतान यात्रा की वास्तविक दूरी के हिसाब से किया जाएगा। इससे वाहन चालकों को उतना ही भुगतान करना होगा, जितनी दूरी वे हाईवे पर तय करेंगे। यह बदलाव देशभर के करोड़ों वाहन मालिकों के लिए महत्वपूर्ण है।

दूरी आधारित टोल भुगतान का लाभ

इस नई प्रणाली का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब आपको यात्रा की वास्तविक दूरी के हिसाब से ही टोल का भुगतान करना होगा। मौजूदा FASTag सिस्टम में अगर आप किसी टोल प्लाजा से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी भी तय करते हैं, तो आपको पूरा टोल शुल्क देना होता है। लेकिन नई GNSS प्रणाली में आप जितनी दूरी तय करेंगे, उतनी ही दूरी का भुगतान करेंगे। उदाहरण के लिए, यदि आप सिर्फ एक किलोमीटर पैदल चलते हैं, तो सिर्फ एक किलोमीटर टोल टैक्स देना होगा। यह बदलाव वाहन चालकों के लिए अधिक न्यायसंगत और लागत प्रभावी होगा।

केंद्रीय मंत्री की घोषणा

वर्तमान केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में इस नई प्रणाली की घोषणा की। उन्होंने बताया कि GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) नामक यह नई टोल प्रणाली अप्रैल के अंत तक शुरू हो जाएगी। पहले इस प्रणाली के 1 अप्रैल से लागू होने की उम्मीद थी, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से इसमें थोड़ी देरी हुई और अब इसे 1 मई, 2025 से पूरे देश में लागू किया जा रहा है।

कैसे काम करेगा GNSS सिस्टम?

RFID तकनीक वाले फास्टैग से GNSS टोल सिस्टम अलग तरीके से काम करेगा। इस नई प्रणाली में फास्टैग स्टिकर की जगह वाहनों पर ऑन-बोर्डिंग यूनिट या ट्रैकर लगाया जाएगा। यह ट्रैकर सैटेलाइट के जरिए वाहन की स्थिति और गति का पता लगाता रहेगा। जब आपका वाहन हाईवे पर चलेगा, तो यह ट्रैकर आपके द्वारा तय की गई दूरी को सटीक रूप से मापेगा। इस दूरी के आधार पर टोल शुल्क की गणना की जाएगी और यह राशि आपके लिंक किए गए डिजिटल वॉलेट या बैंक खाते से अपने आप कट जाएगी।

फास्टैग उपयोगकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

अगर आप अभी फास्टैग का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आप 30 अप्रैल 2025 तक अपने मौजूदा फास्टैग का इस्तेमाल कर सकते हैं। उसके बाद 1 मई से आपको अपने वाहन में सरकार द्वारा स्वीकृत GPS डिवाइस लगाना अनिवार्य हो जाएगा। साथ ही, आपको अपने बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट को इस नए GNSS टोल सिस्टम से लिंक करना होगा। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद, आप अपने वाहन से पुराने फास्टैग स्टिकर को हटा सकते हैं।

नई प्रणाली के खास फायदे

GNSS आधारित टोल प्रणाली से यात्रियों को कई फायदे होंगे। सबसे पहले, इससे टोल प्लाजा पर लंबी कतारों में इंतजार करने की समस्या खत्म हो जाएगी, क्योंकि सैटेलाइट के जरिए भुगतान पूरी तरह से स्वचालित होगा। दूसरा, यह सिस्टम प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों विकल्पों में उपलब्ध होगा, जिससे उपयोगकर्ता अपनी सुविधा के अनुसार भुगतान का तरीका चुन सकेंगे। तीसरा, यह नई प्रणाली मैन्युअल गलतियों और धोखाधड़ी की संभावनाओं को भी कम करेगी, जिससे पूरी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय हो जाएगी।

भारतीय सड़क परिवहन का भविष्य

यह नई GNSS-आधारित टोल प्रणाली भारतीय सड़क परिवहन प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल मोटर चालकों के लिए अधिक सुविधाजनक और न्यायसंगत होगी, बल्कि राजमार्ग प्राधिकरण को टोल संग्रह प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में भी मदद करेगी। सैटेलाइट तकनीक के उपयोग से भारत अपनी सड़क परिवहन प्रणाली को विश्व स्तर पर अग्रणी बना रहा है, जो देश के डिजिटल इंडिया मिशन के अनुरूप है।