नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत हो चुकी है। अब समय आ गया है जब न केवल आपको अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना है, बल्कि आगामी वर्ष के लिए टैक्स बचत की रणनीति भी तय करनी है। इस समय कई टैक्सदाता असमंजस में हैं कि कौन-सी टैक्स व्यवस्था — पुरानी या नई — उनके लिए ज्यादा फायदेमंद होगी। गौर करने वाली बात है कि केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल 2024 से नई टैक्स व्यवस्था को डिफॉल्ट विकल्प बना दिया है। सरकार के मुताबिक, करीब 67% टैक्सपेयर्स ने अब नई व्यवस्था अपना ली है क्योंकि इसमें कई बदलावों के बाद टैक्स दरें काफी आकर्षक हो गई हैं। लेकिन सवाल यही है कि क्या इससे वाकई ज्यादा टैक्स बचाया जा सकता है? आइए समझते हैं कि अगर आपकी सालाना आमदनी 15 लाख रुपये या उससे अधिक है, तो कौन-सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए ज्यादा फायदे का सौदा साबित होगी:

पुरानी टैक्स व्यवस्था से कैसे मिल सकता है फायदा

– सबसे पहले, 15 लाख रुपये की कुल आय में से 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन घटाएं। अब आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 14.5 लाख रुपये रह जाती है।
– अगर आपने बच्चों की पढ़ाई के खर्च के लिए भुगतान किया है, तो सेक्शन 80C के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये तक की छूट हासिल कर सकते हैं। इससे टैक्सेबल इनकम घटकर 13 लाख रुपये हो जाएगी।
– इसके अलावा, अगर आपने EPF, PPF, ELSS या NSC जैसी योजनाओं में निवेश किया है, तो भी 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त छूट मिलती है।
– नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में निवेश करने पर सेक्शन 80CCD(1B) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये की कटौती मिल सकती है, जिससे टैक्सेबल इनकम घटकर 12.5 लाख रुपये हो जाती है।
– होम लोन पर ब्याज के भुगतान पर धारा 24B के तहत 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त राहत मिलती है। अब आपकी टैक्सेबल इनकम 10.5 लाख रुपये रह जाएगी।
– मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर धारा 80D के तहत 25,000 रुपये (स्वयं के लिए) और 50,000 रुपये (वरिष्ठ माता-पिता के लिए) तक की और छूट मिल सकती है।
– इन सभी कटौतियों के बाद, आपकी कुल टैक्सेबल इनकम लगभग 10 लाख रुपये रह जाती है, जिस पर आपको करीब 1,17,000 रुपये टैक्स देना होगा।

नई टैक्स व्यवस्था के अनुसार गणना:

– नई व्यवस्था में 15 लाख रुपये की आय पर केवल 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है।
– इसके बाद टैक्स योग्य आय 14.25 लाख रुपये होगी।
– इस आय पर आपको लगभग 1,30,000 रुपये टैक्स भरना पड़ेगा।

कौन सा विकल्प है आपके लिए बेहतर?

अगर आप विभिन्न निवेश और कटौतियों का सही तरीके से फायदा उठाते हैं, तो पुरानी टैक्स व्यवस्था आपके लिए अधिक लाभकारी रहेगी।
वहीं, अगर आप निवेश करने का झंझट नहीं चाहते और प्रक्रिया को आसान रखना चाहते हैं, तो नई टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेहतर विकल्प बन सकती है।

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