नई दिल्ली: क्या बांग्लादेश में सेना जल्द ही तख्तापलट करने जा रही है? यह सवाल कई दिनों से उठ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि सेना प्रमुख कई बार मोहम्मद यूनुस (Mohammed Yunus) की सरकार पर सवाल उठा चुके हैं। हालांकि, अब उन्होंने इन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है। बांग्लादेश सेना के शीर्ष अधिकारियों ने मंगलवार (25 मार्च) को एक मीडिया रिपोर्ट को पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत बताया, जिसमें दावा किया गया था कि सेना के शीर्ष अधिकारियों ने एक आपात बैठक बुलाई है। सेना ने इस रिपोर्ट को पत्रकारिता की गंभीर चूक बताते हुए खारिज कर दिया। सेना की मीडिया विंग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने इसे गलत सूचना और अफवाह फैलाने का मामला बताया है।

ठोस सबूत का जिक्र नहीं किया

आईएसपीआर की ओर से जारी बयान के मुताबिक, जिस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि “मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के खिलाफ तख्तापलट की संभावना के बीच बांग्लादेश सेना ने आपात बैठक की” वह पूरी तरह से भ्रामक और गलत सूचना पर आधारित है। यह रिपोर्ट पत्रकारिता की गंभीर चूक का उदाहरण है, जिसमें किसी विश्वसनीय स्रोत या ठोस सबूत का जिक्र नहीं किया गया है। आईएसपीआर ने कहा कि यह बैठक एक सामान्य प्रशासनिक बैठक थी, जिसे गलत तरीके से तख्तापलट की साजिश के तौर पर पेश किया गया।

आईएसपीआर के बयान में स्पष्ट किया गया है कि रिपोर्ट में कोई ठोस सबूत या विश्वसनीय जानकारी नहीं है, जिससे यह पुष्टि हो सके कि तख्तापलट की योजना बनाई जा रही थी। सेना ने रिपोर्ट को “झूठा और दुर्भावनापूर्ण” बताया और कहा कि यह अफवाह पूरी तरह से मनगढ़ंत है। यह पहली बार नहीं है कि संबंधित मीडिया संगठन ने बांग्लादेश सेना के खिलाफ झूठी रिपोर्टिंग की है।

नुकसान पहुंच सकता

इससे पहले इसी मीडिया समूह ने मार्च 2025 में एक और रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसे उस समय भी बांग्लादेश सेना ने खारिज कर दिया था। इस विवाद के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच मीडिया कवरेज को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की अफवाहों से न केवल दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है। सेना के बयान ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का कोई खतरा नहीं है और तख्तापलट की अफवाहें पूरी तरह से निराधार हैं।

बांग्लादेश सेना के इस स्पष्ट बयान के बाद माना जा रहा है कि सरकार झूठी और भ्रामक खबरें फैलाने वाले मीडिया संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है। आईएसपीआर ने कहा कि मीडिया को जिम्मेदारी से रिपोर्टिंग करनी चाहिए और बिना किसी सबूत के ऐसी खबरें प्रकाशित करने से बचना चाहिए।

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