नई दिल्ली: Public Provident Fund Account Investment. कोरोना काल के बाद में लोगों में अपने पैसों के सेविसं को लेकर सतर्क हो गए हैं। क्योंकि कोरोना संकट में हर किसी की कमाई बंद और ठप्प पड़ गई थी। मार्केट में ऐेसे कई एक से बढ़कर एक स्कीम्स संचालित हो रही है, जिसमें पैसा को डालकर मौटा रिटर्न पाया जा सकता है। तो वही Public Provident Fund में निवेश करने की सीमा बढ़ने जा रही है, जिससे इसमें निवेशकों का काफी मोटा फायदा होने वाला है।
आप को बता दें कि देश का आम बजट के लिए ज्यादा दिन नहीं पर गए हैं, जिससे आम बजट 2023 में ऐसी कई लोकलुभावन सौगातें मिल सकती है। तो वही बताया जा रहा है कि Public Provident Fund में निवेश करने की सीमा बढ़ने जा रही है। दरअसल, प्री-बजट में सरकार को सौंपे गए ज्ञापन में इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने मांग की है कि PPF में निवेश की सीमा को 1।5 लाख रुपये की मौजूदा सीमा से बढ़ाकर 3 लाख रुपये प्रति वर्ष किया जाना चाहिए।
पॉपूलर स्कीम के वजह से नहीं बढ़ी पीपीएफ सीमा
आप को बता दें कि लाखों लोग पीपीएफ में निवेश कर रहे हैं। पीपीएफ पॉपूलर स्कीम होने के बाबूजद भी इसमें सीमा नहीं बढ़ पा रही है। वही पीपीएफ में 1।5 लाख रुपये/वर्ष तक का निवेश सेक्शन 80सी के तहत टैक्स छूट के लिए योग्य है। साथ ही, अर्जित ब्याज और परिपक्वता के समय निकाली गई राशि पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
ICAI के अनुसार इस वजह से बढ़नी चाहिए सीमा
ICAI पीपीएफ अंशदान की सीमा बढ़ाने से घरेलू बचत को बढ़ावा मिल सकता है और खाताधारकों को भी फायदा हो सकता है। ICAI का कहना है कि पीपीएफ का उपयोग उद्यमियों और पेशेवरों के जरिए बचत के साधन के रूप में किया जाता है।
वही जबकि रोजगार में अपने वेतन का 12% बचाने की बाध्यता है (नियोक्ताओं से समान योगदान के साथ)। जिससे कम आय वाले और स्वरोगार लोगों के लिए उपलब्ध एकमात्र सुरक्षित और कर-कुशल बचत विकल्प पीपीएफ है। ऐसे में पीपीएफ अंशदान की सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने का सुझाव दिया गया है। जिससे लाखों को इसका फायदा होने वाला है। जिससे लोग अपने भविष्य के किए अच्छी सेविंस कर पाएं। और अपने काम कर सकें।