नई दिल्ली: किसान संगठनों के नेता और केंद्र सरकार बीच चली 5 घंटों की बातचीत में कोई बीच का रास्ता नहीं निकल सका। किसान सरकार से एमएसपी पर हर हाल में कानून बनवाना चाहते हैं, लेकिन सरकार इस पर सहमत नहीं है। इसके बाद अब किसानों ने दिल्ली पहुंचने का फैसला कर लिया है। किसानों ने सरकार ने गंभीर आरोप लगाए।
किसानों ने कहा कि सरकार हमारी मांगों को लेकर संजीदा नहीं है, जिसके मन में खोट चल रहा है। अब किसान मंगलवार यानी आज 10 बजे आगे बढ़ेंगे। किसानों को मकसद दिल्ली पहुंचकर संसद का घेराव करना है। दिल्ली में किसानों की एंट्री ना हो, इसके लिए राजधानी की पुलिस ने कमर कस ली है।
किसानों का कारवां रोकने के लिए दिल्ली बॉर्डर पर कंटीले तार, डिवाइर और चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात कर दी है। दिल्ली पुलिस की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, 13 फरवरी के ‘दिल्ली चलो मार्च’ में लगभग 20 हजार किसान 2500 ट्रैक्टर्स से दिल्ली पहुंचने की संभावना है। हरियाणा और पंजाब के कई बॉर्डर एरिया में प्रदर्शनकारी मौजूद रहेंगे।
राजधानी बॉर्डर चाक चौबंद इंतजाम
किसान किसी भी कीमत पर दिल्ली के अंदर दाखिल ना हो, जिसके लिए पुलिस ने भी कमर कसी ली है। बॉर्डर पर लोहे की कीलें, कंटीले तार, बैरिकेड और कंक्रीट स्लैब का सहारा लिया जा रहा है। कई किसान संगठन- ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग के लिए आज अपना विरोध मार्च शुरू कर रहे हैं। यह उन शर्तों में से एक है जो उन्होंने तब निर्धारित की थी जब वे अब के खिलाफ अपना आंदोलन वापस लेने पर सहमत हुए थे।
2021 में कृषि कानूनों को निरस्त किया गया। इसके अलावा, वे स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय” की भी मांग कर रहे हैं।
12 मार्च तक धारा 144 लागू
किसान संगठनों द्वारा आंदोलन के ऐलान बाद दिल्ली पुलिस ने 12 मार्च तक 30 दिनों की अवधि के लिए धारा 144 लागू करने का फैसला लिया गया है। किसी भी तरह की घटना को विफल करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी और इसकी सीमाओं पर व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है। 13 फरवरी से 15 फरवरी के बीच और उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले गैरकानूनी मंडली।
अब निरस्त किए गए तीन सख्त कानूनों के खिलाफ, 2020-21 में ऐतिहासिक प्रदर्शनों की तर्ज पर एक सभा की संभावना को देखते हुए, अधिकारियों ने समूहों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए उचित कदम उठाए हैं।