मुंबई: महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा हिंदू समुदाय द्वारा संचालित मटन की दुकानों के लिए घोषित ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ (Malhar certification) पर विवाद शुरू हो गया है। पुणे जिले के प्रसिद्ध मल्हारी मार्तंड (खंडोबा) मंदिर के ट्रस्टियों में इस नाम को लेकर असहमति है। मल्हारी मार्तंड मंदिर के ट्रस्टी राजेंद्र खेडेकर ने इस सर्टिफिकेशन के नाम पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि भगवान मल्हारी मार्तंड शाकाहारी देवता हैं, जिन्हें पशु प्रेमी भी माना जाता है। ऐसे में मटन की दुकानों से जुड़ी किसी भी योजना का नाम उनके नाम पर रखना उचित नहीं होगा। उन्होंने मंत्री नितेश राणे से इस सर्टिफिकेशन का नाम बदलने की अपील की।
हिंदू समुदाय के लोग करेंगे
खेडेकर ने कहा, “हमारे देवता शाकाहारी हैं और उन्हें जानवरों से प्यार है। इसलिए मटन की दुकानों से जुड़ी योजना का नाम उनके नाम से जोड़ना अनुचित है।” मंदिर के एक अन्य ट्रस्टी मंगेश घोणे ने ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ का समर्थन किया है। उन्होंने इसे अच्छी पहल बताते हुए कहा कि वे मंत्री नितेश राणे का सम्मान करेंगे। घोणे का मानना है कि इस सर्टिफिकेट से हिंदू समुदाय का कारोबार मजबूत होगा और पारंपरिक तरीके से काटे गए मांस की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने सोमवार (10 मार्च) को ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ की घोषणा की थी। इस योजना के तहत ‘झटका’ मटन की दुकानों को सर्टिफिकेशन दिया जाएगा, जिसका संचालन पूरी तरह हिंदू समुदाय के लोग करेंगे।
दुकानों से ही मटन खरीदें
राणे ने लोगों से अपील की कि वे ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ वाली दुकानों से ही मटन खरीदें। ‘झटका’ मांस एक ऐसी विधि से प्राप्त होता है, जिसमें पशु को एक बार में ही काटा जाता है, जिससे उसकी पीड़ा कम होती है। इसे पारंपरिक हिंदू विधि माना जाता है। ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ को लेकर धार्मिक और सामाजिक स्तर पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। एक तरफ जहां कुछ लोग इसे हिंदू व्यापारियों के लिए अच्छा कदम मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़ रहे हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस विवाद पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
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