टीम इंडिया भले ही फाइनल में हार गई, लेकिन एक नया सितारा भारतीय क्रिकेट को मिला है. उदय सहारन ने बचपन में ही एज ग्रुप क्रिकेट खेलने के लिए अपना शहर गंगानगर छोड़ दिया. वो पंजाब पहुंच गए. और यहां से उनके पिता ने ये फैसला कर लिया था कि बेटे को एक प्रोफेशनल क्रिकेटर बनाना ही है. उदय की बैटिंग में आज जिस ठहराव की बात सब जगह होती है वो भी उन्होंने अपने पिता से ही सीखा।
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राजस्थान का गंगानगर. वही गंगानगर जहां से देश को जगजीत सिंह जैसा गज़लकार मिला. इस छोटे शहर से ही देश को अब एक और ऐसा हीरा मिला है जिसका नाम सभी की जुबां पर है. नाम है उदय सहारन. पेशे से एक क्रिकेटर हैं. और मौजूदा समय में भारतीय अंडर 19 टीम के कप्तान. हर दिन के साथ तेज होते जा रहे क्रिकेट के खेल में ठहराव भी है, और ये ठहराव उदय की बल्लेबाजी में दिखता है. जहां जंग इस बात की है कि चौके-छक्के कौन ज्यादा लगा सकता है, वहां उदय की बैटिंग और कप्तानी में सब्र दिखता है. जगजीत सिंह की गजलों जैसा सब्र. बेहद सिंपल सी है इस खिलाड़ी की फिलॉसफी. रुके रहो, जमे रहो और बारी का इंतजार करो. उम्र भले ही 19 साल है, लेकिन जल्दबाजी तनिक भी नहीं. अपनी इसी ओल्ड स्कूल बैटिंग के दम पर उदय ने अपनी एक अलग कहानी अबतक गढ़ी है ।
क्रिकेट के लिए छोड़ा शहर
उदय ने बचपन में ही एज ग्रुप क्रिकेट खेलने के लिए अपना शहर गंगानगर छोड़ दिया. वो पंजाब पहुंच गए. और यहां से उनके पिता ने ये फैसला कर लिया था कि बेटे को एक प्रोफेशनल क्रिकेटर बनाना ही है. उदय की बैटिंग में आज जिस ठहराव की बात सब जगह होती है वो भी उन्होंने अपने पिता से ही सीखा. उदय ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘मेरे पिता ने मुझे शुरू से ही कहा था कि खेल को हमेशा जितना संभव हो उतना गहराई तक ले जाना चाहिए. आजकल, बल्लेबाज शॉट खेलना पसंद करते हैं और चीजों को जल्दी खत्म करने की कोशिश करते हैं, लेकिन मेरे पिता ने हमेशा विकेट हाथ में रखने और खेल को गहराई तक ले जाने की बात कही. इसे मैं स्कूल टाइम से फॉलो भी कर रहा हूं.’ विराट कोहली को हमने इसी मानसिकता से इस जैनरेशन का सबसे बड़ा बल्लेबाज बनते हुए देखा है ।
उदय ने इस पूरे टूर्नामेंट में 500 से ज्यादा गेंद खेलीं, और करीब-करीब 400 रन बनाए. पूरे टूर्नामेंट की कहानी एक सी ही रही. इंडिया का टॉप आर्डर टूटा नहीं कि उदय संकटमोचक बनकर खड़े हो जाते. सेमीफाइनल तक उदय टूर्नामेंट में सबसे जल्दी अगर आउट हुए थे तो पारी का 37वां ओवर चल रहा था. पहले मैच में बांग्लादेश के खिलाफ टीम का स्कोर 2 विकेट पर 31 रन था. उदय आए और जब आउट हुए तो स्कोर 169 रन था. अगला मैच आयरलैंड से था. टीम का स्कोर 80 पर 2. उदय आउट होने से पहले टीम का स्कोर 236 पर 3 कर चुके थे. नेपाल के खिलाफ टीम 61 रन पर दो विकेट खो चुकी थी.
हर बार टीम को मुश्किल से निकाला
उदय आए और आखिर तक खेले. टीम का स्कोर 295 रन. फिर आया सेमीफाइनल का मैच. सामने साउथ अफ्रीका की टीम. भारतीय टीम 245 रन का पीछा करते हुए 32 रन पर अपने 4 विकेट गंवा चुकी थी. लेकिन फिर उदय खड़े हुए और 81 रन बना गए. टीम एक ऐसा मैच जीत गई जो नामुमकिन नजर आ रहा था. फाइनल में उदय सिर्फ 8 रन बनाकर आउट हो गए. ये पूरे टूर्नामेंट में इकलौता मौका था जब उदय 10 के स्कोर तक नहीं पहुंच पाए. टूर्नामेंट के सबसे अहम मुकाबले में उदय ने टीम का साथ जल्दी छोड़ दिया. एक ऐसा मैच जहां तक टीम को पहुंचाने में इस खिलाड़ी ने अपना सब लगा दिया था.
लेकिन वही बात है, एक मैच नहीं बताता कि आप किस लेवल के खिलाड़ी हैं. उदाहरण के तौर पर आप जान लीजिए कि चेतेश्वर पुजारा, शिखर धवन और यशस्वी जायसवाल भी ऐसे ही खिलाड़ी थे जिन्होंने अंडर 19 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाए, लेकिन टीम खिताब से चूक गई. हालांकि तीनों ही खिलाड़ियों का कद क्रिकेट में कितना बड़ा है ये दुनिया जानती है.