कौन हैं वो नागा साधु जिन्होंने दादी के मन का कष्ट जानकर लड़ा रामलला का केस? अब ये जंग जारी

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नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के अयोध्या में अब श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, जिसकी तैयारी तेजी से चल रही हैं। प्राण प्रतिष्ठा दिन 22 जनवरी निर्धारित किया गया है, जिसके यजमान खुद पीएम नरेंद्र मोदी होंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए नगरी को अभी से सुगंधित फूलों से सजाया जा रहा है, जहां चौकसी के भी कड़े इंतजार किए गए हैं।

क्या आपको पता है कि भगवान राम मंदिर के लिए लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ी गई। मामला हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चला, लेकिन आखिर में जीत प्रभू श्रीराम की हुई है। इस लड़ाई में कुछ पैरोकार ऐसे भी हैं, जो अब दुनिया में नहीं रहें। हिंदू पक्ष की ओर से कुछ मशहूर वकील जिन्होंने लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ी और जीत भी मिली।

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क्या आपको पता है कि इसमें एक नागा साधु है, जिन्होंने पहले कानून की पढ़ाई की और बाद रामलला का मुकदमा लड़ा। यही साधू अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद के मुख्य याचिकाकर्ता हैं। हम जिस नागार साधू की बात कर रहे हैं, उनका नाम करुणेश शुक्ला हैं।

नागा साधू अब पूरे देश में मशहूर हो चुके हैं, जिन्होंने भवगान राम के लिए सु्प्रीम अदालत में साक्ष्य रखे और हिंदू पक्ष में फैसला आया। आज हम उनके बारे में कुछ जरूरी बातें बताने जा रहे हैं, जिसके लिए आप हमारा आर्टिकल ध्यान से पढ़ लें।

जानिए कैसे आए थे अयोध्या

नागा साधू जिनका नाम करुणेश शुक्ला जो मूल रूप से यूपी के बस्ती के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी शुरु की पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर में हुई है। कानूनी लड़ाई लड़ने वाले नागा साधू बताते हैं कि मेरे परिवार में शुरू से ही बहुत धार्मिक-आध्यात्मिक माहौल रहा था। उन्होंने बताया था कि मेरी दादी जब कल्पवास के लिए जाती थीं, तो मैं उनके साथ जरूर जाता था।

साथ ही दादी का अयोध्या और बनारस आना जाना लगा रहता था। वे जब अयोध्या से लौटतीं तो उनके मन में कष्ट रहता कि भगवान एक टेंट में हैं। कहती थी कि उनके लिए एक मंदिर तक नहीं है। इसके साथ ही 1990 के दशक में जब राम जन्मभूमि आंदोलन बड़ी लड़ाई की तरफ से जा रहा था। उस समय मेरी दादी मां ने मुझे रामकाज के लिए हनुमानगढ़ी भेजने का काम किया। वो चाहती थीं कि मैं अयोध्या में रहकर भगवान राम की सेवा करता रहूं।

कैसे बने नागा साधू

करुणेश शुक्ला के नागा साधू बनने की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है, जो हर किसी को प्रभावित करती है। वे 8वीं की पढ़ाई के बाद परिवार की मर्जी से करुणेश अयोध्या के हनुमानगढ़ी रवाना हो गए। यहां एक आश्रम में रहकर पहलवानी की विद्या सीखी। उन्होंने यहां रामचरितमानस, तमाम वेद-पुराण का अध्ययन किया और फिर नागा साधु बन बन गए। इसके साथ ही साधु बनने के बाद भी उनका अध्ययन जारी रहा।

वे बताते हैं कि हनुमानगढ़ी में मैंने श्रीराम जन्मभूमि के मर्म और इस लड़ाई को और गहराई से समझा। मेरे गुरु और परिवार वाले चाहते थे कि कोई अपना रामलला का केस लड़ने का काम करे। कोर्ट में पैरवी करे। इसके लिए उन्होंने मुझे चुना।

बताया कि मैंने साल 2011 में कानपुर से लॉ की पढ़ाई की, जिसके बाद श्रीराम जन्मभूमि विवाद में श्री महंत धर्मदास निर्वाणी अखाड़ा की तरफ से रेस्पॉन्डेंट नंबर 14 बनकर कोर्ट में पेश हुआ। अब वे श्रीकृष्णभूमि जन्म की लड़ाई लड़ रहे हैं।

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