मुगल बादशाह के हरम में थीं हजारों खूबसूरत महिलाएं, रंगीन रात और अय्याशी के वक्त गलती पर मिलती थी यह खौफनाक सजा

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नई दिल्लीः मुगलों का राज किसी से छुपा नहीं है, जिन्होंने भारत में लंबे समय तक राज किया था। भारत में जब किसी साम्राज्य का जिक्र होता है तो सबसे पहले मुगल बादशाह का नाम सबसे पहले जेहन में आता है। सभी मुगल बादशाहों ने लोगों के लिए विकास के काम किये, बड़ी-बड़ी इमारतें भी बनाई, जो आज भी प्रसिद्ध हैं। इसके बावजूद भी मुगलकाल के कुछ ऐसे बादशाह भी हुए जिन्हें नफरती प्रतीक के तौर पर याद किया जाता है।

गैर मुस्लिमों के लिए कुछ मुगल शासकों ने ऐसे काम किये, जिन्हें आज भी बर्बादी के तौर पर याद किया जाता है। अपने आर्टिकल में आज हम एक ऐसे बादशाह के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी अय्याशी की कहानी जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

  • जहांगरी ने हरम में रखी थीं इतनी महिलाएं

मुगलकाल के बादशाह जहांगरी का नाम किसी से छुपा नहीं है, जिन्होंने अपने पिता अकबर की सल्तनत संभाली थी। जहांगीर एक ऐसा शासक था, जिसनें हर मोर्चे पर कमजोर लोगों के लिए काम तो किए, लेकिन गैर मुस्लिम खूबसूरत महिलाओं को अपनी रखैल बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। आपने हरम शब्द का तो जिक्र सुना ही होगा, जो महिलाओं को इकट्ठा करने का एक दरबार होता है।

यहां महिलाओं को पाबंदी में रखा जाता था, जहां केवल बादशाह ही आता जाता था। हरम में महिलाओं की देखरेख काम का किन्नर यानि हीजड़े करते थे। जहांगरी के हरम में 1000 महिलाएं रखी थी। इन महिलाओं के रखवाले हीजड़े थे, जिनकी हर महीना मोटी सैलरी दी जाती थी।

एक लेखक के मुताबिक, मुगलों के हरम में हजारों महिलाएं हुआ करती थीं। हालांकि इतिहासकार राणा सफवी के अनुसार मुगल हरम में जितनी महिलाएं होती थीं। इसमें महज 5 प्रतिशत बादशाह के साथ शारीरिक संबंध बनाने का मौका मिलता था। अन्य रोजमर्रा के काम देखती थीं।

  • पुरुषों की एंट्री पर लगी थी रोक

मुगलकाल के हरम में बादशाह के अलावा हर पुरुष के जाने पर रोक लगी रहती थी। हरम में महिलाओं से मिलने केवल बादशाह ही जा सकता था। राणा सफवी dailyo के अपने एक लेख में लिखती हैं कि जब बादशाह हरम में जाते थे, तो सारे हिजड़े उनके इर्दगिर्द घेरा बना लेते थे। जहांगरी खूबसूरत महिलाओं के साथ अपनी रात को रंगीन बनाने का काम करता था। हिजड़ों की देखरेख में यह सब कामत होता था।

  • मिलती थी इतनी सैलरी

मुगलकाल के हरम में तैनात महिलाओं-हिजड़ों को बाकायदे उनके पद के अनुसार सैलरी देने का प्रावधान था। मसलन दरोगा को सर्वाधिक 1000 रुपये महीने तक तनख्वाह के रूप में दिये जाते थे। इसी तरह हरम के अंदर तैनात नौकरों को दो रुपए महीने सैलरी मिलती थी। गलती करने पर फांसी पर लटका दिया जाता था।

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