नई दिल्ली- जोधपुर की सरदारपुर विधानसभा सीट पर पिछले 25 सालों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जीते जा रहे हैं। इस सीट को कांग्रेस का गढ़ भी कहा जाता है। लिए आपको बताते हैं पूरे माहौल का समीकरण
बता दे की जोधपुर की 10 विधानसभा सीटों में सबसे विप सेट सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र है इस सीट से पिछले 25 सालों से अशोक गहलोत विधायक है। और इसी सीट से वह तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने यानी यह हुआ सीट है। जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए लकी भी है। और कांग्रेस के लिए अभेद गढ़ भी कहा जाता है।
सरदारपुरा सीट माली बाहुल्य सीट मानी जाती इस सीट से अब तक सबसे ज्यादा बार माली उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई है। हालांकि इस सीट पर अल्पसंख्यक जाट राजपूत महाजन और ओबीसी मतदाताओं की बड़ी संख्या है। लेकिन इसके बावजूद पिछले सालों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यहां से सुनते आ रहे हैं।
साल 1998 में अशोक गहलोत प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष इस चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया गया लेकिन गहलोत ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था लिहाजा ऐसे में सरदारपुरा सीट से विधायक मानसिंह देवड़ा ने अपनी सीट खाली कार अशोक गहलोत को दी 1999 के उपचुनाव में अशोक गहलोत ने पहली बार सरदारपुरा सीट से विधायक की किताबों की और उन्होंने 49280 वोटों से अपने प्रतिद्वंदी मेघराज लोहिया को हरा दिया।
1999 के उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में गहलोत ने फिर इसी सीट से ताल ठोकी इस बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए। अर्थशास्त्री महेंद्र कुमार को चुनावी मैदान में उतारा लेकिन अशोक गहलोत की जादूगरी से भाजपा का दाम फेल हो गया। और अशोक गहलोत 18991 मतों के अंतर से एक बार फिर विधानसभा पहुंचे।
2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अशोक गहलोत के सामने इस बार रणनीति बदलते हुए माली समाज के ही आने वाले पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री रहे है। राजेंद्र गहलोत को अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन राजेंद्र गहलोत को अशोक गहलोत ने हरा दिया। 15340 मतों के अंतर से अशोक गहलोत एक बार फिर विधानसभा पहुंच गए।
इसी तरह अशोक गहलोत पांचवीं बार सरदारपुरा से ही पहली चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं भाजपा ने अपनी रणनीति एक बार फिर रिपीट कर और शंभू सिंह शेखावत को यहां से टिकट दिया लेकिन अशोक गहलोत के जादू के आगे शंभू सिंह कहां टिकने वाले इस चुनाव में अशोक गहलोत के पक्ष में 63% जनता का समर्थन मिला और 45000 मतों से जीत के अंतर से जीत हासिल हुई।