नई दिल्ली: Female Naga Sadhu Mystery. अध्यात्म (spirituality) का स्थान भारत में ऐसे कई रहस्य हैं, जिनके बारे में कम ही लोगोें को पता होता है। ऐसे कई बड़े धार्मिक अवसरों पर ऐसे कई साधुओं को देखा जाता है। जिसमें नागा साधुओं को भी देखा जाता है। वही प्रयागराज में जल्द ही माघ मेला शुरू होने वाला है और इस अवसर न सिर्फ श्रद्धालु बल्कि साधु भी संगम का स्नान करने के लिए आने वाले है। कुंभ मेले में कई तरह के साधुओं में एक तरह के और साधु आने वाले जो अपने शरीर पर हमेशा राख लपेटे रहते हैं।
दरअसल यहां पर बात हो रही है, प्रयागराज के माघ मेला में आने वाले नागा साधुओं की जो हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं। बता दें कि कोई आत्मा की शांति के लिए तो कोई अपने पापों को धुलने के लिए संगम में डुबकी लगाते हैं। तो वही कुंभ मेले के दौरान नागा साधु में पुरुष और महिला साधु दिखाई देने वाले है।
धार्मिक अवसरों पर देखे जाते हैं महिला नागा साधु
आमतौर पर महाकुंभ जैसे धार्मिक अवसरों पर इन्हें देखा जाता है। इस इसके बाद में अपने-अपने स्थान पर चले जाते हैं। कई बार में लोगों को पता नहीं होता है कि ऐसे नागा साधू कहा चले जाते हैं। वही इस समय ये अपने पूजा पाठ में लगे रहते हैं और मौसम की परवाह किए अपनी साधना में लगे रहते हैं।
ऐसे बनतें है महिला नागा साधु
नागा साधु बनने की प्रक्रिया काफी रोचक है। बताया जाता है कि नागा साधु बनने के लिए महाकुंभ के दौरान ही प्रक्रिया शुरू हो जाती है। ऐसे साधू जो नागा बनने की इच्छा रखते हैं तो उन्हें ब्रह्मचर्य की परीक्षा देनी पड़ती है। इसमें 6 महीने से लेकर 12 साल तक का समय लग जाता है। इस समय ये कठिन समय से गुजरते है तब जाकर महिला नागा साधु बन पातीं है।
कठोर पास के बाद मिलती है माता की उपाधि
आप ने अक्सर महिला नागा साधु या संन्यासी पीला वस्त्र धारण करते हुए देखा होगा। ये परीक्षा पास करने के बाद माता की उपाधि दी जाती है। इन्हें कठिन तप करने के बाद अखाड़े के सभी साधु-संत उन्हें माता ही बुलाया हैं। महिला नागा साधुओं को हमेशा पीला वस्त्र पहनकर रखना पड़ता है।
महाकुंभ जैसे मौके के बाद रहस्यमयी हो जातीं है महिला नागा साधु
आप को बता दें कि नागा साधुओं का जीवन बेहद ही रहस्यमयी होता है, इनके बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं होता है। महिला नागा साधुओं को गृहस्थ जीवन से कोई मतलब नहीं होता। इनकी जिंदगी बेहद ही कठिनाई भरी होती है। सालों साल कोई एंकात में जाकर पूजा पाठ में लगे रहते हैं, और मौसम की परवाह किए अपनी साधना में लगे रहते हैं।