Sarso Tel Rate: देशभर में खाने के तेल की बढ़ती कीमतें आसमान छू रही हैं, क्या गिरेंगी या बढ़ेंगी कीमतें? इंडोनेशिया द्वारा पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण भारत में खाद्य तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई। पिछले हफ्ते तेल की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण तेल की कीमतें बढ़ गई हैं।
भारत में तेल की बढ़ती कीमतों से लोग परेशान नजर आ रहे हैं, फरवरी के मुकाबले मार्च में वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक में 8 फीसदी की तेज बढ़ोतरी देखी गई है. कच्चे तेल की कीमतों के साथ-साथ दुनिया भर में खाद्य तेलों की कीमतों में भी भारी उछाल आया है। 7 महीने में पहली बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ी हैं.
भारत में भी खाद्य तेलों की कीमतों पर अंतरराष्ट्रीय बाजार का असर कई बार देखा जा चुका है। तेल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है. क्या आने वाले दिनों में देशभर में खाने के तेल की कीमतें आसमान छूने लगेंगी? क्या इनकी कीमतें गिरेंगी या और बढ़ेंगी? आने वाले समय में मांग का दबाव नहीं रहने वाला है. जिससे तेल की कीमतें नियंत्रण में रह सकती हैं.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई. खाद्य एवं कृषि संगठन का वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक फरवरी की तुलना में मार्च में 8 फीसदी बढ़ गया है. शाकाहारी तेल मूल्य सूचकांक साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, सूचकांक में 10 खाद्य तेलों की कीमतें शामिल हैं। खाद्य तेलों के सूचकांक में दर्ज की गई यह वृद्धि खाद्य पदार्थों के किसी भी अन्य खंड की तुलना में सबसे अधिक है। मार्च में कीमतें बढ़ने से मांग की तुलना में आपूर्ति कम रही है.
इन बढ़ती कीमतों का भारत पर असर अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को लेकर विशेषज्ञ ज्यादा चिंतित और चिंतित नहीं हैं. अतुल चतुवेर्दी के मुताबिक मार्च में रमजान और होली के कारण खाद्य तेलों की मांग बढ़ी थी, जिसके चलते मार्च में आयात में उछाल आया है. खाद्य तेलों की मांग आगे भी बढ़ती रहेगी, लेकिन यह मार्च के रिकॉर्ड स्तर से नीचे ही रहेगी. दूसरी ओर, खाद्य तेलों का आयात जारी किया गया है और आने वाले समय में सरसों की आपूर्ति बढ़ सकती है। इनकी कीमतों में कोई कमी नहीं होगी.