नई दिल्ली- राजस्थान में महिला सुरक्षा पर सवाल उठाने वाले राजेंद्र गुढ़ा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया है। घोड़ा ने शुक्रवार को ही विधानसभा में राजस्थान में महिला सुरक्षा पर अपनी ही सरकार को असफल बताया था और कहा था मणिपुर के बदले हमें अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है। सरकार ने गुढा के बयान को घेरा है। और अनुशासनहीनता माना है।
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्री राजेंद्र गुढा के बयान ने हलचल मचा दी। गुड़ा ने शुक्रवार को विधानसभा के पटल पर अपनी ही सरकार पर निशाना साध कर कहा कि हमें मणिपुर के बजाय अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। हम महिलाओं की सुरक्षा के मामले में असफल हो गए हैं। इस बयान पर सदन में ही बीजेपी ने मेज थपथपा कर समर्थन किया। इस बयान के बाद राज्य की सियासत भी गरमा गई। इस बीच सीएम गहलोत ने 6 घंटे के अंदर ही गुढा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। सीएम की सिफारिश को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है।
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महिला सुरक्षा पर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने वाले राजस्थान के मंत्री राजेंद्र चर्चा में है हालांकि यह पहला मौका नहीं था। जब राजेंद्र ने अपने बयान की वजह से पार्टी और सरकार की मुश्किलें बढ़ाई हो। राजेंद्र के पास सैनिक कल्याण स्वतंत्र प्रभार होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री का दायित्व संभाल रहे।
राजेंद्र झुंझुनू जिले की उदयपुरवाटी विधानसभा से विधायक है वह 2008 में पहली बार बसपा से चुनकर लड़कर जीते थे। और बाद में उन्होंने अपनी पार्टी के विधायकों के साथ गहलोत सरकार को समर्थन दे दिया था सीएम गहलोत ने रिटर्न गिफ्ट और राज्यमंत्री के तौर पर उन्हें बना लिया था साल 2018 में भी राजेंद्र फिर चुनाव में जीते और गहलोत सरकार को समर्थन दिया। एक साल बाद ही सितंबर 2019 में राजेंद्र समेत बसपा के विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। राजेंद्र को गहलोत सरकार में दूसरी बार मंत्री बनाया गया।
राजस्थान में बसपा के अंदर सेंधमारी किए जाने की घटना से पार्टी प्रमुख मायावती ने नाराजगी जताई उन्होंने कांग्रेस हाईकमान से लेकर गहलोत तक को निशाने पर लिया हालांकि गहलोत की तरफ से यह कहा गया कि उन्होंने किसी को थोड़ा नहीं सभी विधायक अपनी मर्जी से आए हैं। कांग्रेस में आने का उनका अपना फैसला है।
रोचक बात यह रही कि राजेंद्र को गहलोत का कट्टर समर्थक माना जाता था लेकिन डेढ़ साल पहले अचानक उनके सुर और तेवर दोनों बदलने बदले नजर आ रहे थे। कहा जा रहा है। कि राजेंद्र पायलट खेमे में आ गए थे। और फिर उनकी गहलोत से दूरियां बढ़ती गई। राजेंद्र लगातार पायलट के साथ मंच शेयर करते देखे गए उनके समर्थन में कई बार बयानबाजी भी कर चुके हैं। और सीएम पद दिए जाने का समर्थन भी किया है।
2020 में जब सचिन पायलट ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी तब सरकार को गिराने से बचाने में बसपा विधायकों ने अहम रोल अदा किया था तब राजेंद्र समेत बसपा के सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लेकिन हाल में राजेंद्र के बयानों ने गहलोत की मुसीबतें और बढ़ा दी है।