नई दिल्ली– महिला आरक्षण बिल को लेकर लगातार चर्चाएं तेज होती जा रही हैं। कल जैसे ही लोकसभा में यह पास हुआ लोगों में खुशी देखने को मिली। महिलाओं में एक उत्साह देखने को मिला वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मामले को लेकर सांसदों के समर्थन का धन्यवाद दिया।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जिन सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान किया था उनको सोशल मीडिया पर लिखकर धन्यवाद दिया है। यहीं नहीं अमित शाह समेत भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं ने इसका जिक्र किया है। लेकिन इस बीच एक सवाल सबके मन में बना हुआ है आखिरकार यूपीए और एनडीए के महिला आरक्षण के बिल में क्या अंतर है दोनों को समझने का प्रयास करते हैं।
यूपीए के समय में यह 108 व संविधान संशोधन बिल 2008 था। जबकि भारतीय जनता पार्टी यानी कि एनडीए में 128 व संविधान संशोधन बिल 2023 है।
बता दे कि यूपीए के समय में इसका कोई विशेष नाम नहीं था जबकि एनडीए ने इसका विशेष नाम देते हुए नारी शक्ति वंदन अधिनियम रखा है।
हम आपको बता दे कि यूपीए के समय एग्लो इंडिया समुदाय की महिलाओं को आरक्षण दिया जा रहा था लेकिन अब इसे पूरी तरीके से हटा दिया गया है।
यही नहीं हम आपको बता दे की उसे समय यह बिल पहले राज्यसभा में पेश किया गया था। लेकिन इस बार पहले लोकसभा में पेश हुआ है।
जानकारी के लिए यूपीए के समय कानून पास होते ही लागू हो जाता। लेकिन अब परिसीमन के बाद लागू होगा।
यही नहीं हम आपको बता दे उसे समय ओबीसी के लिए आरक्षण नहीं था। पर अब भी ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं है।
इन कुछ प्वाइंटों के जरिए आपको समझ में आ रहा होगा। कि आखिरकार यूपी और एनडीए में क्या फर्क था। जब यूपीएससी से लेकर आया था तो क्या था और अब क्या है।